नई दिल्ली: कोरोना महामारी के समय में देश जब केंद्र सरकार रिटायर्ड अधिकारियों से भी अपनी सेवाएं दोबारा शुरू करने का आग्रह कर रही है. तब केंद्र सरकार का एक मंत्रालय अपने अनुपस्थित अधिकारियों को बर्खास्त किए जाने का ऑफिस मेमोरेंडम जारी कर रहा है.
दरअसल उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 13 अप्रैल को जारी किए गए इस नोटिस के मुताबिक अधिकारियों और कर्मचारियों को 20 अप्रैल तक सूचित करने के लिए कहा कि विभाग के साथ काम करना चाहते हैं या नहीं ताकि उन्हें राहत दी जा सके.
हालांकि, 14 अप्रैल को केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ये नोटिस वापस लिया जा रहा है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘मुझे उपभोक्ता मामलों के विभाग से इस नोटिस के बारे में पता चला है. इस बाबत विभाग के सचिव को निर्देश दिया गया है कि वो इस ओएम को वापस लें और स्पष्टीकरण जारी करें. लॉकडाउन के दौरान कार्यालय एमएचए और डीओपीटी के आदेशों के अनुसार कार्य करते रहेंगे.’
I have come to know about this Office Memorandum of Department of Consumer Affairs. Secretary, DoCA has been instructed to withdraw this OM and issue clarification. Offices shall continue to function as per MHA & DoPT orders during lockdown. pic.twitter.com/D4Sms1sEmP
— Ram Vilas Paswan (@irvpaswan) April 14, 2020
विभाग के अधिकारी ने दिप्रिंट को नाम ना छापने की शर्त पर टेलिफोन से हुई बातचीत में बताया, ‘लॉकडाउन के दौरान भी ऑफिस आने का दबाव डाला जा रहा था. लेकिन कई कर्मचारियों ने बिना किसी निजी साधन के मंत्रालय आने में दिक्कतों की बात कहते हुए मना कर दिया था. जिसके बाद ही 13 तारीख को ये नोट जारी कर अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों व स्टाफ को बर्खास्त करने की बात कही गई.’
डिप्टी सेक्रेटरी एस के प्रसाद द्वारा साइन किए गए इस नोट की कॉपी विभाग के सेक्रेटरी के पीएसओ, अस्सिटेंट सेक्रेटरी के सीनियर पीपीएस और ज्वॉइंट सेक्रेटरी के पीपीएस को भी भेजी गई थी. जिसके बाद से ही मंत्रालय के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए मुश्किल पैदा हो गई थी.
सेक्रेटरी पवन कुमार अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया कि नोट को गलत तरीके से छापा गया है. नोट जारी करने का उद्देश्य था कि उन अधिकारियों और स्टाफ की सूचि बनाई जाए जो हॉटस्पॉट इलाकों में रह रहे हों या बीमारी के कारण आने में असमर्थ हों ताकि उनकी जगह दूसरे अधिकारियों को लगाया जा सके. नोट की भाषा की अस्पष्टता के कारण हम इसे वापस ले रहे हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रालय ने काफी कन्फ्यूजन बनाया हुआ है. अगर हमें अनिवार्य सेवा के तहत ऑफिस आना है तो हमारे लिए किसी साधन का इंतजाम करना होगा क्योंकि लॉकडाउन के समय कर्फ्यू पास और कई तमाम तरह की दिक्कतें आ रही हैं.’ ये अधिकारी आगे जोड़ते हैं, ‘विभाग का इस तरह नोटिस भेजकर अधिकारियों को धमकाना असवेंदनशील था.’
दिप्रिंट ने विभाग के सेक्रेटरी व अन्य सीनियर अधिकारियों को इस संबंधित जानकारी के लिए मेल भी भेजे थे. कॉपी लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया है.