लखनऊ: कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने के लिए एक तरफ सरकार तमाम दावे कर रही है लेकिन दूसरी ओर यूपी के हजारों एंबुलेंस कर्मचारी मंगलवार को हड़ताल पर चले गए. लखनऊ, बरेली, गोंडा समेत कई जिलों में एंबुलेंस सेवा ठप कर इन्होंने प्रदर्शन भी किया. इन लोगों ने वेतन समेत अपनी मांगें पूरी न होने पर काम छोड़कर अपने गांव वापस जाने की चेतावनी भी दी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, यूपी में 108, 102 व एएलएस (एडवांस लाइफ सपोर्ट) एंबुलेंस सर्विस प्राइवेट कंपनी ‘जीवीके’ यूपी सरकार के अंतर्गत कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड पर है. इसके तहत लगभग 19 हजार कर्मचारी और 4700 एंबुलेंस हैं. इनके कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष हनुमान पांडे का कहना है कि पिछले कई दिनों से लगातार सरकार के अधिकारियों को इसके बारे में सूचना दी जा रही थी लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. इसी कारण कर्माचारियों का सब्र टूट गया और वे हड़ताल पर चले गए. कर्मचारियों की पांच अहम मांगे हैं-
-2 महीने की रुकी सैलरी दे दी जाए
-8 महीने का पीएफ़ जमा कराया जाए
-50 लाख का बीमा जो अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों का हुआ है
-एम्बुलेंसों में कोरोना से निपटने के लिए सुरक्षा किट जैसे मास्क, ग्लव्स, सैनेलाइजर, पीपीएफ किट, क्योंकि सबसे पहले मरीज को हम लेने जाते हैं.
-यदि कुछ नही दिला सकते तो कोई हादसा हो जाये हम लोंगो के लाश पर तिरंगा कफ़न के रूप में हो.
दिप्रिंट से बातचीत में कर्मचारी नेता रतीभान मौर्य ने कहा, ‘हम लोग देश के इस विषम परिस्थिति में भी अपनी जान की परवाह न करके 24 घंटे रात-दिन प्रशासन के साथ मिलकर लोगों को सेवा दे रहे हैं. 2 महीने से सैलरी न मिलने से हम लोग भुखमरी की कगार पर पहुंचा गए हैं. हालात अब यह हैं कि हमको मजबूर होकर घर पलायन करना होगा.’ रतीभान के मुताबिक, एंबुलेंस कर्मचारियों के लिए मास्क, ग्लब्स समेत सैनेटाइजर का भी ठीक इंतजाम नहीं है.
मामला बढ़ता देख यूपी के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रकाश ने मीडिया से बातचीत में आश्वासन दिया है कि वे कर्मचारियों की सैलरी दिलवाएंगे. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में कुल 4700 एंबुलेंस हैं, जिनमें से हर एंबुलेंस रोजना आठ से 10 मरीजों को अस्पताल ले जाती है. अगर ये हड़ताल नहीं रुकती है तो प्रदेश में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है.