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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशकोविड-19 संक्रमण के भय और लॉकडाउन से बिहार पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों की बिहार की सीमा में 'नो एंट्री'

कोविड-19 संक्रमण के भय और लॉकडाउन से बिहार पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों की बिहार की सीमा में ‘नो एंट्री’

‘आपदा सीमा राहत शिविर’ में दूसरे राज्यों से लौट रहे बिहार के मजदूरों को रखा जाएगा जहां उन्हें व अन्य राज्यों के फंसे लोगों को भोजन, आवासन एवं मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

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नई दिल्ली: देशव्यापी लॉकडाउन के चलते यूपी-बिहार के मजदूर राजधानी दिल्ली से भारी संख्या में पलायन कर रहे हैं. ट्विटर पर अलग-अलग पार्टियों के नेता अपने इलाके के मजदूरों का ब्यौरा दे रहे हैं जो देश के अलग राज्यों में फंसे हुए हैं. साथ ही बिहार ट्रेंड भी कर रहा है. राज्य सरकार उसपर संज्ञान भी ले रही है. लेकिन शनिवार रात को दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर इक्ट्ठा हुए. राज्य स्वास्थ्य विभाग ने बयान जारी कर बताया है कि राज्य में संक्रमितों की संख्या 11 हो गई है.

वहीं देशभर में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 979 हो गई है जबकि इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 25 के करीब पहुंच गई है.

स्थिति को गंभीरता से लेते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने मुख्य सचिव दीपक कुमार को दूसरे राज्यों व नेपाल से आ रहे बिहार के मजूदरों के लिए कैंप बनाने के निर्देश दिए हैं. ये कैंप बिहार के सीमावर्ती जिलों में बनाए जांएगे जिन्हें ‘आपदा सीमा राहत शिविर’ नाम दिया जाएगा. गौरतलब है कि शनिवार रात को पटना में अपने मुख्यमंत्री आवास पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई एक बैठक के बाद नीतिश कुमार ने ये निर्देश जारी किए.

‘आपदा सीमा राहत शिविर’ में दूसरे राज्यों से लौट रहे बिहार के मजदूरों को रखा जाएगा जहां उन्हें व अन्य राज्यों के फंसे लोगों को भोजन, आवासन एवं मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाएंगी.

खुद नीतिश कुमार इसे क्लोजली मॉनिटर करते रहेंगे. इसके साथ ही नीतीश कुमार ने एक और बड़ी पहल करते हुए मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत कोरोना उन्मूलन कोष में 7 करोड़ रुपये का अंशदान दिया है. उन्होंने ने विधान परिषद के सदस्य के तौर पर कोविड-19 के संबंध में इस राशि के व्यय करने की अनुशंसा की है. हालांकि इससे पहले वो कह रहे थे कि विशेष बसों को भेजना एक गलत कदम है क्योंकि इससे बीमारी से निपटने और उससे निपटने में मुश्किल पैदा होंगी. इससे लॉकडाउन के उद्देश्य पर भी फर्क पड़ेगा.

लेकिन प्रवासी मजदूरों के पैदल ही अपने घरों-गांवों तक पहुंचने की भीड़ के बाद कई राज्य सरकारें सचेत हुई हैं और उनके आने जाने के इंतजाम कर रही हैं. योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मजदूरों के लिए हजार बसें चलाने का भी एलान किया था.

बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने मुख्यमंत्री के निर्देशों के राज्य के सभी सीमावर्ती जिलों जैसे- पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, भोजपुर, कैमूर, बक्सर, छपरा, सीवान एवं गोपालगंज के जिलाधिकारियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर उन्हें त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया.

कई दिनों से परेशानी झेल रहे इन यात्रियों के लिए यह राहत वाली बात हो सकती है.

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