नई दिल्ली: दिलशाद गार्डन स्थित गुरुतेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) में एक छह साल की बच्ची को एडमिट किया गया है. इस बच्ची को सर्दी, खांसी, तेज बुखार और पैरों में दर्द की शिकायत थी. बच्ची के परिजनों ने बताया कि बच्ची को 14 तारीख को मोहल्ला क्लीनिक में उन्हीं संक्रमित डॉक्टर से दिखाया था. बच्ची को गुरुवार दोपहर में उल्टी भी हुई साथ ही उसे सांस लेने में भी दिक्कत हुई जिसके बाद आनन-फानन में परिवार वाले उसे गुरुतेग बहादुर अस्पताल लेकर पहुंचे. बच्ची को लंबी जद्दो-जहद के बाद जीटीबी अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए विशेष तौर पर बनाए गए वार्ड में भरती कर लिया गया है. बच्ची संक्रमित है या नहीं इसकी जांच भी शुरू कर दी गई है.
कोरोनावायरस का संक्रमण अब तेजी से पैर पसार रहा है. दिल्ली में अब तक इस संक्रमण में 35 मरीज आ चुके हैं जिसमें दिलशाद गार्डन के ए ब्लॉक में दुबई से आई महिला और उसके बेटे से संक्रमित हुए मोहल्ला क्लीनिक के एक डॉक्टर और उनके परिवार के संक्रमित भी शामिल है. संक्रमित डॉक्टर से इलाज कराने वाले मरीजों में भी संक्रमण का असर दिखने लगा है. संक्रमित डॉक्टर और उनके परिवार पत्नी और बच्ची का इलाज भी फिलहाल सफदरजंग अस्पताल में चल रहा है.
दिल्ली सरकार ने 24 मार्च को यह नोटिस निकाल कर उस मोहल्ले में खबर की थी कि 12 से 18 मार्च के बीच इस डॉक्टर से जिन भी लोगों ने इलाज कराया है वह खुद को घर में क्वारेंटाइन कर लें. सीडीएमओ राजेश सहगल ने बताया, ‘इन सात दिनों में डॉक्टर के संपर्क में करीब 1200 मरीज आए हैं. हमारी टीम ने उन घरों की पहचान की है और उन्हें क्वारेंटाइन में रहने की बात कही है. ‘
इस पर्चे और मीडिया में खबर आते ही इस बच्ची के परिवार वालों ने अपनी बच्ची की तबियत ठीक न होता देख गुरुवार शाम जीटीबी अस्पताल पहुंचे जहां बच्ची को उन्होंने बच्चों के वार्ड में दिखाया. बच्ची के चाचा ने दिप्रिंट को बताया,’ बच्ची को जीटीबी अस्पताल में भर्ती किए जाने और उसके इलाज को लेकर उन्हें 3-4 घंटा लंबा इंतजार करना पड़ा.
जब इस बाबत अस्पताल प्रशासन से बात करने की कोशिश की गई तो सभी ने जवाब देने से इनकार कर दिया. उच्च सूत्रों ने इस मामले की पुष्टि की और बताया कि कुछ सीनियर डॉक्टरों और मीडिया की धमकी दिए जाने के बाद ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने बच्ची को एडमिट किया. लेकिन उस डॉक्टर ने न तो बच्ची के पिता को क्वारेंटाइन होने की सलाह दी और न ही परिवार के लिए कोई गाइडलाइन ही दी है.
बच्ची को अस्पताल लेकर उनकी मां, पिता और चाचा पहुंचे थे. चाचा ने बताया कि जब हम बच्चों वाले वार्ड में पहुंचे तो वहां मौजूद डॉक्टर को हमने मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर से दिखाए जाने से लेकर अब तक की सारी बाते बताईं. पिछले पांच-छह दिनों से बच्ची की तबियत अधिक खराब है वह भी बताया. उन्होंने हमें अस्पताल में बने कोरोनावार्ड में भेजा लेकिन वहां मौजूद डॉक्टरों ने बच्ची को भर्ती करने से ही मना कर दिया.
चाचा ने यह भी बताया कि बच्ची के भर्ती किए जाने को लेकर उन दोनों डॉक्टरों में बहुत देर तक बहस भी हुई. बाद में दोनों डॉक्टरों ने बड़े डॉक्टरों को इस बारे में जानकारी दी. उसके बाद जब मीडिया की धमकी दी गई तब कहीं जाकर मेरी बच्ची को अस्पताल वालों ने भर्ती किया है. जब अस्पताल प्रशासन से इस बारे में जानने की कोशिश की गई तो सभी पल्ला झाड़ते रहे.अस्पताल में मौजूद सूत्रों के मुताबिक बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए माता-पिता को भारी मशक्कत करनी पड़ी है.
चौंकाने वाली बात ये है कि जब दिल्ली सरकार ने कोरोनावायरस के संक्रमण को लेकर विशेष गाइडलाइन दी है फिर मरीजों को भर्ती किए जाने को लेकर इस अस्पताल में इस बहस का मतलब ही नहीं है.
जीटीबी अस्पताल में बच्ची का इलाज शुरू कर दिया है. लेकिन डॉक्टरों ने रिपोर्ट आने तक परिवार वालों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं दी है. बच्ची के परिवार में 5-10 साल के चार छोटे भाई बहन और बच्ची के माता-पिता और चाचा हैं.
शहादरा एसडीएम द्वारा पर्ची में साफ-साफ लिखा गया है कि 12 मार्च से 18 मार्च के बीच डॉक्टर से ईलाज कराने वाले मरीजों में यदि कोरोनावायरस के लक्षण पता चलें तो तुरंत कंट्रोल रूम, डीडीएमए, जिला शहादरा एफ ब्लॉक में रिपोर्ट करें. वहां नंबर भी दिए गए हैं लेकिन उन नंबरों पर आप फोन करते रहिए,कोई उठाने वाला नहीं.
नर्स भी की गईं हैं क्वारेंटाइन
वैसे जीटीबी अस्पताल का मामला सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता है. बर्न विभाग की एक नर्स को भी क्वारेंटाइन किए जाने से वहां अफरातफरी का माहौल बना हुआ है. नर्स का बेटा कनाडा से आया था और इसकी जानकारी नर्स ने प्रशासन को नहीं दी लेकिन जब दिल्ली सरकार की तरफ से उसके घर पर क्वारेंटाइन किए जाने का पोस्टर चिपकाया गया तो वह आनन-फानन में छुट्टी लेकर घर पर हैं. इस मामले पर अस्पताल के एमडी सुनील कुमार सिंह से जब दिप्रिंट ने पूछा तो उन्होंने चुप्पी साध ली. लेकिन नर्स को छ्ट्टी देनी वाली हेड नर्स ने इस बात को स्वीकार किया कि उनके पास उक्त नर्स शिकायत लेकर आईं थी और उन्होंने छुट्टी मांगी थी. नाम न लिखने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘ उनका बेटा कनाडा से आया था, उन्होंने तीन दिन पहले ही छुट्टी ली है. लेकिन उनकी रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है.’ वह नर्स दिलशाद गार्डन के जेएंडके ब्लॉक में रहती हैं. अस्पताल प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में कुछ भी जवाब देने से बचते नजर आए.