रायपुर: छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने दावा किया है कि 21 मार्च के सुकमा हमले में उनके तीन ही लड़ाके मारे गए हैं लेकिन उन्होंने 19 सुरक्षाबलों को मार गिराया और 20 से अधिक घायल हुए थे. हालांकि छत्तीसगढ़ पुलिस ने माओवादियों के इस दावे को सिरे से नकार दिया है. पुलिस का कहना है कि माओवादियों का दावा और जारी की गई तस्वीरें उनके कैडर का मनोबल बनाए रखने के लिए किया गया है. जबकि पुलिस ने इस मुठभेड़ में 15 से अधिक माओवादियों को मार गिराया है और 20 से अधिक घायल हुए हैं.
माओवादियों ने मारे गए साथियों के अंतिम संस्कार की फ़ोटो जारी कर धमकी दी है कि सरकार द्वारा उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान यदि रोकेगी तो ऐसे हमले होते रहेंगे. हालांकि राज्य पुलिस का कहना है कि माओवादियों का दावा उनके कैडर का मनोबल बनाये रखने की कवायद है असली आंकड़े सरकार जल्द सामने लाएगी. बता दें दिप्रिंट को मिली तस्वीरों में भी जलती हुई लाशों की संख्या तीन से अधिक दिखाई दे रही है.
अमूमन ऐसी जानकारी साझा ना करने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो दण्डकारण्य ने सुरक्षा बलों के खिलाफ किये गए हमले को सफल बताया है. माओवादियों मारे गए अपने तीनों साथियों के शवों और उनके अंतिम संस्कार यात्रा की तस्वीरें भी जारी करते हुए कहा की 21 मार्च का एम्ब्युश (घात लगाकर मारा) उनके ‘जनताना’ सरकार को बचाने के लिए किया गया था. बता दें जनताना सरकार माओवादियों द्वारा उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में गठित वे संगठन हैं जिनका उद्देश जनता के बीच माओवाद का प्रचार प्रसार, लड़ाकों के लिए रसद और धन इकट्ठा करना और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करना है.
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माओवादियों ने अपनी तारीफ में और गांव वालों के बीच एक पर्चा बांटा है जिसमें लिखा गया है, ’21 मार्च को सफलता पूर्वक किए गए हमले में बहादुरी से लड़ते हुए हमारे 3 साथी शहीद हुए है. कॉमरेड सकरू (पीपीसीएम), बीजापुर जिला, एरिया इन्द्रावति, गांव गोंद मेट्टा से है वहीं कॉमरेड राजेश (पीएम), बीजापुर जिला, एरिया गंगालुर, गांव बुरगिल से और कॉमरेड सुक्कू (पीएम), बीजापुर जिला, एरिया भैरामगढ़, गांव गानार का है. इन तीनों साथीयों को हम क्रांतिकारी जोहार व शत्-शत् नमन कहेंगे, उनके अधूरे लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघर्ष करेंगे और उनकी शहादत को बुलंद रखेंगे.’
माओवादियों ने दावा किया कि ‘जान-माल को बचाने के लिए, जनताना सरकार को बचाने के लिए हमारे पीपल्स लिबरेशन आफ गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) ने विम्पा गांव के पास हमला करके 19 पुलिस वालों को खत्म और 20 को घायल करके मार भगाया है. ये हमारी पीएलजीए व जनता की प्रतिरोध का जीत है.’
माओवादियों ने मारे गये पुलिस वालों से लूटे हुए हथियार और गोलाबारूद की जानकारी भी दी है जिसमे 11 एके 47, 2 इंसास राइफल, 1 एसएलआर एलएमजी, 2 युबिजीएल, करीब 1550 अलग किस्म की कारतूस और 6 युबिजीएल शेल्स शामिल हैं.
माओवादियों के दावे को प्रदेश में नक्सलवाद विरोधी अभियान में शामिल वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने पूरी तरह से नकारते हुए कहा है कि उनका यह दावा अपने कैडर और अन्य साथियों का मनोबल बढ़ाये रखने के लिया किया गया है.
दिप्रिंट द्वारा पूछे जाने पर माओवाद विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहे बस्तर आई जी सुंदरराज पी ने बताया, ‘हम उनसे मारे गए माओवादियों के सही आंकड़ों की उम्मीद नही करते. वे उतनी ही जानकारी साझा करते हैं जिससे उनको लाभ होता हो. ऐसा कर वे एक ओर अपने समर्थकों के बीच विश्वास बनाये रखना चाहते हैं और दूसरी ओर अपने कैडर का कमजोर होता मनोबल बढ़ाए रखना चाहते हैं.’
सुंदरराज ने आगे बताया, ‘विगत कई वर्षों में यह पहला अवसर है जिसमें सुरक्षाबल-माओवादियों के बीच आमने-सामने की युद्ध जैसी परिस्थिति में मुठभेड़ हुई. अभी तक विभिन्न सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार माओवादियों के बटालियन नं. 01, सीआरसी कंपनी एवं पीएलजीएन प्लाटून के कम से कम 15 से अधिक माओवादी मारे जाने तथा 20 से अधिक माओवादी गंभीर रूप से घायल होने की जानकारी प्राप्त हो रही है, बहुत जल्द उसका नाम और विवरण सार्वजनिक किया जायेगा.’
माओवादी की अपील
माओवादियों ने आरोप लगाया है, ‘प्रदेश के डीजीपी डीएम अवस्थी, केन्द्रीय आन्तरिक सुरक्षा सलाहकर विजय कुमार के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुलिस और अर्ध सैनिक बलों की मदद से ऑपरेशन चलाए जा रहें है.
माओवादियों के समूह ने यह भी आरोप लगाया है कि इन सैनिक ऑपरेशनों के दौरान आये दिन उनके लोगों पर हमला कर घायल करना, गिरफ्तार कर यातनायें देना, झूठे मुकदमें लगाकर जेल भेजना, महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है.
माओवादियों ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि लड़े बिना हमारी सम्पति व खनिज, जल, वन सम्पदाओं को बचाना मुश्किल है क्योंकि इसे लूटने के लिए देश-विदेश के पूंजीपतियों, साम्राज्यवादियों व इनके दलाल केन्द्र-राज्य सरकार अड़े हुए है. अतः लड़कर बचाने के लिए आगे आना चाहिए.
आपरेशन समाधान बंद हो, नही तो हमले जारी रहेंगे
माओवादियों ने यह भी कहा है कि केन्द्र और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ‘आपरेशन समाधान’ के तहत उनके खिलाफ चलाई जाने वाली सैनिक कार्यवाही पर रोक लगाए. साथ ही बस्तर सम्भाग के अलावा छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव व महाराष्ट्र के गडचिरोली जिलों में तैनात सभी पुलिस, अर्धसैनिक बलों और कारपेट सेक्युरिटी के तहत बनाए गये पुलिस कैंपों को हटाए ‘नहीं तो इस तरह की प्रतिरोध कार्रवाईयां जारी रहेगी.’