नई दिल्ली: अमरीका स्थित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं का मानना है कि गरम देशों में रहने वाले समुदायों के बीच कोरोनावायरस का संक्रमण ठंडे देशों की तुलना में कम तेज़ी से फैलता है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि सबसे ज्यादा कोरोनावायरस का संक्रमण 3 से 17 डिग्री सेल्सियस में फैला जबकि भूमध्यसेखा के मौसम और दक्षिणी गोलार्ध के क्षेत्र में जहां अभी गर्मियों का मौसम चल रहा है, वहां पर कोरोनावायरस से संक्रमित दुनिया भर के कुल मामलों का केवल 6 प्रतिशत ही सामने आया है. यहां औसत तापमान 18 डिग्री सेल्सियस के आस पास रहा है.
न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट ने एमआईटी के शोधकर्ता कासिम बुखारी के हवाले से लिखा है ‘ जहां पर भी तापमान ठंडा था ये मामले तेज़ी से बढ़े. आप ये बात युरोप में देखते हैं जहां कि स्वास्थ्य सेवाएं दुनिया की सबसे बेहतरीन है. ’ कासिम बुखारी एमआईटी की इस शोध के सह लेखक है. अमरीका की ग्लोबल एड्स कोर्डिनेटर डॉ डेबोराह बर्क्स का मानना है कि यही पैटर्न दूसरे वायरस में भी देखा जाता है. सामान्य सर्दी करने वाले चार वायरस भी गर्मी आने पर हर साल कम हो जाते हैं. डॉ बर्क्स का मानना है कि 2003 के सार्स संक्रमण में भी यह देखा गया था. पर चूंकि चीन और दक्षिण कोरिया में ये देर से फैला था, इसलिए दावे से कहना कि कोरोनावायरस भी यही रास्ता अपनायेगा.
दो अन्य शोधों के भी इसी तरह के नतीजे सामने आए है. स्पेन और फिनलैंड के एक आंकलन के अनुसार -2 और -10 डिग्री के तापमान और सूखे वातावरण में ये वायरस फलता फूलता है. शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि चीन सरकार ने जबतक कड़े प्रतिबंध लगाए थे उससे पहले जिन शहरों में तापमान ज्यादा था और आद्रता भी वहां संक्रमण धीरे हुआ था.
पर अभी तक किसी भी शोध का पीयर रिव्यु ( शोध की अन्य वैज्ञानिकों द्वारा पुष्टि) नहीं हुआ है. डॉ बुखारी मानते हैं कि आवाजाही में रोक, सोशल डिस्टेंसिग, टेस्ट की सहूलियत और अस्पतालों की सुविधाएं सभी से फर्क पड़ता है.
पर इसका कतई मतलब नहीं कि नीति निर्माता ये सोच के ढिलाई बरतने लगें. डॉ बुखारी ने चेताया, ‘ हमें सावधानी बरतनी है. गर्म तापमान चाहे वायरस की धार को कुद कर दे पर कम संक्रमण का मतलब कतई नहीं है कि संक्रमण रुक जायेगा.’
‘ गर्मी में शायद कोरोनावायरस हवा में कम टिक पाये, सतहों पर कम टिक पाये पर फिर भी वो घंटों तक, अगर कई दिनों तक नही, संक्रमण फैल सकता है.’
मियामी विश्वविद्यालय में काम कर रहे फीजीशियन, जुलियो फ्रेंक जो मेक्सिको के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं कि ‘सबसे बड़ा खतरा ये है कि आप ये मान ले कि गर्म तापमान पर ये वायरस कम खतरनाक हो जाएगा और इससे निपटने में ढ़िलाई बरतने लगे. मैं आशा करता हुं की लोग विशेषज्ञों की और स्वास्थ्य कर्मचारियों की हिदायत माने, नहीं तो बहुत बड़ी विपदा आ जायेगी.’