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Friday, 22 November, 2024
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लॉकडाउन पर 24 घंटे में बदली सरकार की भाषा, 75 जिलों में ज़रूरी सुविधाओं के अलावा सब बंद

केंद्र ने राज्यों को निर्देेश देते हुए कहा है कि जिन 75 ज़िलों में कोरोना के मामले सामने आए हैं उनमें सिर्फ ज़रूरी सुविधाएं के अलावा बाकी सब 31 मार्च तक बंद कर दिया जाए.

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नई दिल्ली: कोरोना महामारी पर ताज़ा एक्शन और डेवलपमेंट से जुड़ी जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय से सह सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने राज्य के प्रमुख सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की और उन्हें जनता कर्फ्यू पर अच्छा रेस्पॉन्स मिला. साथ ही ये भी फीडबैक मिला की कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़े हैं.

इस पर सेक्रेटरी ने जो फैसले लिए उनमें सबसे बड़ा फैसला देश के 75 ज़िलों में लॉकडाउन करने का है. केंद्र ने राज्यों को निर्देेश देते हुए कहा है कि जिन 75 ज़िलों में कोरोना के मामले सामने आए हैं. उनमें सिर्फ ज़रूरी सुविधाएं के अलावा बाकी सब 31 मार्च तक बंद कर दिया जाए.

ऐसी ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शनिवार को लव अग्रवाल ने मीडिया को बार-बार कहा था कि लॉक डाउन की बात ही मत करें. अभी इसका कोई सवाल नहीं है. वहीं, महज़ 24 घंटे में 75 ज़िलों को लॉकडाउन में ले जाने की घोषणा से साफ़ है कि स्थिति चिंताजनक है. ये फ़ैसला भी किया गया है कि नए मामले सामने आने और परिस्थिति बदलने पर राज्य सरकारें लॉकडाउन में डाले जाने वाले ज़िलों की संख्या बढ़ा सकती है. साथ ही सभी तरह की रेल, मेट्रो रेल, इंटर स्टेट बस सेवाएं भी बंद रहेंगी. हालांकि, ये भी कहा गया कि इनमें से कोई भी कदम स्थायी नहीं हैं.

केंद्र ने राज्यों से कहा है कि तैयारी इतनी पुख़्ता होनी चाहिए कि लॉकडाउन वाले ज़िले के लोगों को कोई परेशानी ना हो. साथ ही राज्यों को अपनी क्षमता बढ़ाने से जुड़े कदम उठाने को कहा गया है. ताकि जब कोरोना के मामले बढ़ें तो राज्यों के पास इससे निपटने की क्षमता हो.

अग्रवाल ने कहा, ’30 जनवरी को भारत में जब पहला मामला आया हम तब से ही इस कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं. आज सबसे बड़ी चुनौती चेन ऑफ़ ट्रांसमिशन को रोकना है. जिसके लिए सोशल डिस्टेंस बहुत ज़रूरी है. इसमें जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन जैसे कदम अहम भूमिका निभाएंगे.’

लव अग्रवाल ने कहा कि जिन जिलों से मामले आए हैं उन्हें लॉकडाउन करना है. राज्य तय करेंगे की अहम सर्विस क्या हैं. उन्होंने कहा कि 22 राज्यों के 75 ज़िलों में पॉज़िटिव मामले आए हैं. अगर ये संख्या बढ़ती है तो राज्य अपने हिसाब से लॉकडाउन बढ़ाने का फ़ैसले ले सकते हैं.

चीन, ईरान, इटली जैसे देश जहां कोरोना का कहर रहा है. उनके द्वारा लिए गए एक्शन को देखते हुए भारत में वेंटिलेटर की ज़रूरत की चर्चा ज़ोरों पर है. इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा, ‘हमने 1200 नए वेंटिलेटर का  ऑर्डर दिया है. हम बदलती परिस्थिति के हिसाब से ख़ुद को पहले से तैयार रहें.’

वहीं भारत द्वारा पर्याप्त टेस्टिंग नहीं करने से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हर देश अपने टेस्टिंग नॉर्म्स के हिसाब से टेस्ट कर सकते हैं. साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत की बाकी तैयारी पूरी है.

उन्होंने ये जानकारी भी दी कि भारत में दो नए मामले सामने आए हैं. इनमें से एक बिहार और एक महाराष्ट्र से है. सरकार की मानें तो अभी तक कोरोना के कुल मामलों की संख्या 341 हैं. हालांकि अग्रवाल ने कहा कि ये कभी भी बदल सकता है.

कोरोना के चार स्टेज हैं जिनमें तीसरा और चौथा सबसे खतरनाक है. भारत में कोरोना किस स्टेज में है इससे जुड़े सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा कि अभी स्टेज अहम नहीं है. हालांकि, इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के रमन आर गंगाखेड़कर ने कहा कि मंगलवार तक ये साफ़ हो सकता है कि भारत कम्युनिटी ट्रांसफर के स्टेज में है या नहीं.

वहीं, डॉक्टरों और इलाज में लगे लोगों को भविष्य में पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की ज़रूरत पड़ेगी. पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट के बारे में अग्रवाल ने कहा कि इस पर सरकार का पूरा ध्यान है और इसे मेक इन इंडिया के तहत बनाने की तैयारी है.

आईसीएमआर के बलराम भार्गव ने कहा, ‘जो लोग बाहर देशों से आए उनके लिए अलग रखने की रणनीति बनाई गई है. चेन ऑफ़ ट्रांसमिशन को तोड़ना है. ऐसे में उन्हें अलग रखने पर ही चेन टूटेगा.’ टेस्टिंग से जुड़ी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि लाख़ों लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग हुई है और टेंप्रेचर वालों को अलग कर दिया.

उन्होंने कहा कि कोरोना का पता करने के लिए स्वाव टेस्ट होता था. इस वायरस का टेस्ट 2-14 दिन में किसी भी दिन पॉज़िटिव हो सकता है. इसमें 80 प्रतिशत लोगों को ज़ुख़ाम वाला बुखार होता है और बिना देरी वो ठीक हो जाता है. उन्होंने आशंका जताई की 20 प्रतिशत ज़्यादा लोग गंभीर रूप से बीमार होंगे जिनमें से 5 प्रतिशत को भर्ती करना पड़ सकता है.

कोरोना की दवा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘दुनिया भर में दवाओं का प्रयोग हो रहा है. लेकिन कोई चमत्कार नहीं हो रहा. चीन और इटली जैसे बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा वाले देश भी कुछ नहीं कर पा रहे.’ फिर उन्होंने कहा कि टेस्ट करने की दरकार तब है जब इस बीमारी के लक्ष्ण हों.

उन्होंने ये जानकारी भी दी कि जिनको कोरोना पॉज़िटिव पाया जा रहा है. उन्हें भर्ती किया जा रहा है. विपदा जब बड़ी होगी तब की तैयारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि राज्यों में कोविड- 19 के इलाज के अलग हॉस्पिटल होंगे. टेस्टिंग के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘हम हर दिन 10,000 और हफ्ते में 50,000-70,000 टेस्ट कर सकते हैं.’

वैश्विक टेस्टिंग का आंकड़ा देते हुए उन्होंने कहा कि फ्रांस, यूके, जर्मनी ने भी एक हफ्ते में भारत की जितनी क्षमता है उतने ही या औसतन उससे कम टेस्ट किए हैं. उन्होंने कहा कि अब कोरोना की टेस्टिंग के लिए प्राइवेट लैब्स को भी मंज़ूरी दे दी गई है जिसके बाद देश भर में 111 एनआईवी लैब हो गए हैं.

ये भी जानकारी दी गई कि लैब्स की संख्या को और बढ़ाया जाना है. हालांकि, सरकार का ज़ोर कोरोना की टेस्टिंग पर नहीं बल्कि आइसोलेशन यानी लोगों को एक-दूसरे से अलग रखने पर है.

एक सवाल के जवाब में भार्गव ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में 5000 और अब तक कुल 15,000 से ऊपर कोरोना के टेस्ट हुए हैं. वहीं प्राइवेट लैब्स को कोरोना टेस्ट की हरी झंडी देने में हुई देर से जुड़े सवाल के जावब में उन्होंने कहा कि सुरक्षा अहम मुद्दा था. ये वायरस वायो हजार्डस है. ये सुनिश्चित करना था कि लैब इसे हैंडल करने में सझम हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि अभी हरी झंडी देने की एक बड़ी वजह ये है कि अन्य राज्यों से लोग अपने राज्य में लौट रहे हैं ऐसे में ज़्यादा लैब्स की दरकार होगी. कई और लैब्स को अप्रूव करने की प्रक्रिया जारी है. उनके मुताबिक अभी तक 60 नए रज़िस्ट्रेशन आए हैं जिनमें से फिलहाल चार को हरी झंडी दे दी गई है.

कोरोना के इलाज से जुड़ी संभावित दवा से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘कई दवाओं पर चर्चा हो रही है. लेकिन कुछ पुख्ता नहीं है. हम कई दवाओं पर नज़र बनाए हुए हैं. कई बड़े देशों में इन दवाओं के इस्तेमाल के बावजूद कई मौतें हो रही हैं.’ उन्होंने ये भी कहा कि सारे राज्यों ने कोरोना के लिए अलग से हॉस्पिटल बनाने का फैसला लिया है.

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