नई दिल्ली: भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री के पास देश के हर मुद्दे पर कोई ना कोई होली का गाना है. फिर चाहे वो अनुच्छेद-370 रहा हो या सीएए-एनआरसी या फिर कोरोनावायरस. पर ये सारे गाने एक ही जगह रुकते हैं- औरतों पर.
चोली-लहंगा, भाभी, मौसी, चाची, मामी, साली इन सबसे ये गाने आगे बढ़ ही नहीं पाते. इस इंडस्ट्री में बुलेट ट्रेन की स्पीड से भी तेजी से गाने रिलीज़ किए जाते हैं. आज होली है और यूट्यूब पर ऐसे भोजपुरी होली गानों की बाढ़ सी आ गई है. पर ये गाने सुनकर लगेगा कि औरतों के खिलाफ जंग का ऐलान हो गया है. उन औरतों के खिलाफ जो घरों में सुरक्षित रहती है. आखिर भाभी, मौसी, चाची, मामी, साली से ज्यादा सुरक्षित कौन होगा? पर गाने सुनें तो आपको लगेगा कि आज के दिन ये औरतें सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. अगर ये गाने वाकई हमारी संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं तो फिर डरने की बहुत जरूरत है.
एक बार इन गानों के टाइटल्स पर नजर दौड़ाते हैं. शुरुआत में ये ‘निस्पृह’ लगेंगे पर जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे ये आश्चर्यचकित करते जाएंगे- खेसारी लाल यादव और अंतरा सिन्हा का गाया ‘दोसरा का माल बानी हो गाना’, निरहुआ का ‘रंग डलबा त देहब हजार गाली’, खेसारी लाल का ‘लहंगा लखनऊआ’, ‘छोटू की पिचकारी’, ‘भईया रंगले नया साड़ी’, ‘कमरिया हिला रही है’, ‘भतीजवा के मौसी जिंदाबाद’, गुड्डू रंगीला का लहंगा में कोरोनावायरस, लहंगा में एनआरसी नहीं होने दूंगा, खेसारी लाल का ‘डालता रंग देवरा लहंगा में’, लगा के करुआ तेल अइलु. आप और सर्च करें तो ऐसा लगेगा जैस डार्क वेब में किसी अश्लीलता के महाकुंभ में आ गए हों.
द्विअर्थी और बलात्कारी मानसिकता वाले इन गानों को देखने वाले सैंकड़ों में नहीं बल्कि करोड़ों में हैं. खेसारी लाल यादव के एक गाने पर दस करोड़ व्यूज हैं. कोई भी गाना ऐसा नहीं है जिस पर लाइक्स, व्यूज और कमेंट्स की भरमार ना हो. इन गानों के कमेंट सेक्शन भी उसी मानसिकता से भरे हुए हैं जिस मानसिकता से इन्हें गाया गया है. बल्कि यूं कहें कि कमेंट्स में कुत्सित चीजें ज्यादा मुखर होकर लिखी गई हैं.
समाजशास्त्र में एक जोकिंग और अवायडेंस रिलेशनशिप की चर्चा होती है. माना जाता है कि समाज में शादी होने के बाद औरतों के लिए देवर, ननद जैसे जोकिंग रिलेशनशिप बनाये गये जो उन्हें नॉर्मल महसूस कराते थे. अवायडेंस रिलेशनशिप वैसे थे जो ससुर, जेठ जैसे लोगों से बनाये गये जिनसे बात करने में वो असहज महसूस करती हैं. पर भोजपुरी गानों में हर रिलेशनशिप मॉकरी का है. ससुर, जेठ, देवर, जीजा और वो तमाम पुरुष जो किसी ना किसी रिश्ते से औरतों से जुड़े हैं, होली के गानों में शोषण करते नजर आते हैं.
ऐसा नहीं है कि ये गाने सिर्फ प्राइवेट में सुने जा रहे हैं. होली के अवसर पर ये सारे गाने पब्लिक में डीजे पर बजाए जा रहे हैं. लोग प्राइवेट में सुनते हुए चाहे इन गानों की अश्लीलता पर चार आंसू बहा लें, होली के मौके पर इन गानों से ऐतराज नहीं है. संस्कृति की लहर में ये सब पास हो जाता है. हर साल होली स्पेशल गानों के एल्बम रिलीज़ करने वाले होली सम्राट गुड्डू रंगीला के गाने ना सिर्फ यूट्यूब पर हिट हो रहे हैं बल्कि भोजपुरी बेल्ट में डीजे पर बज भी रहे हैं. गुड्डू रंगीला के गाने इस क्षेत्र में एक अलग प्रतिमान कायम कर चुके हैं.
भोजपुरी के ये गायक लगभग हर साधारण शब्द को सेक्सुयलाइज कर चुके हैं. लोकसंस्कृति के नाम पर बेचे जा रहे उनके गानों में ‘हऊ’ और ‘कटोरा’ जैसे शब्द भी द्विअर्थी बना दिए गए हैं. रंग, डालना, निकालना, दिखाना, पिचकारी जैसे सामान्य शब्द भी भोजपुरी गानों के माध्यम से एक अलग अर्थ प्राप्त कर चुके हैं. भोजपुरी भाषा के पतन में इन गायकों का योगदान कभी ना भुला देने वाला रहेगा. ये गौरतलब है कि गाने लिखनेवालों को लोग उतना नहीं जानते, जितना गानेवालों को. लगभग सारे गायक अपने वीडियोज में खुद ही एक्ट करते हैं और इस नाते लोग उन्हीं के माध्यम से इन गानों को पहचानते हैं.
सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनलों के माध्यम से इनका सिर्फ प्रसार ही हो रहा है. जैसे जैसे पैसे मिलते जा रहे हैं, अब ये गाने आलोचना के पात्र ना होकर, सफलता की कुंजी बन गये हैं.
It’s humar aap itana b nahi samjhati
Jyoti Kahte haen sahitya samaj ka darpan hai
क्या हमारे समाज में कोई ऐसा वर्ग नही जो इस अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठा सकता है , किन्तु वैचारिक अल्पता के कारण तथा अधिकारिक तौर पर न्यायिक दृष्टिकोण की कमजोर रवैया के कारण व्यथित हो ।
Sarkar इस पर सरकार नियंत्रण कर सकती है और सक्षम भी है
ऐसे गाने लोगो को मनोरंजन से ज़्यादा कामोतेजना जगाने का काम करते हैं इससे इनको सुन्ने वालो की क्या भावनाएं होती है सब जानते हैं जहां महिलाओं को केवल एक ही नज़र से देखते हैं चाहे जो भी रिश्ता हो। ऐसे गाने सुनने और समझने वालों से आप कभी भी महिलाओं का सम्मान नही कर सकते । बहुत गंदी मानसिकता का शिकार लोगो को अपनी कमाई के लालच में गंदे भद्दे गाने बना के देने वालो को सज़ा होनी चाहिए ये समाज को गंदा कर रहे हैं ।
You are right bhojpuri films and songs very dangerous for women dignity, life,self respect.
जो पहले थियेटरों में गाने बजते थे वो अब समाज में आ गए है इसका असर दिख रहा है सरकार को इसपर कदम उठाने चाहिए
आज लोग कहते है कि भोजपुरी भाषा को 8 वीं अनुसूची मे जोड़ दिया जाए, लेकिन कहने वाले ये नहीं जानते हैं कि भोजपुरी भाषा का कोई शब्दकोष नहीं है, इसका कोई भी, शब्द का अर्थ जितना भी निकालिये निकल जाता है, जब तक तमाम भोजपुरी भाषा का प्रयोग करने वाले लोग ये तय नहीं कर लेते कि इतनी अश्लील गाना को नहीं सुने और इसका अनेक अर्थ नहीं निकले तब तक इसका समाधान नहीं हो सकता!!