रायपुर: छत्तीसगढ़ से लगने वाले तीन नक्सल प्रभावित राज्यों के बॉर्डर क्षेत्रों में प्रदेश पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा चलाये गए माओवादी विरोधी विशेष आपरेशन ‘प्रहार’ मे 6 नक्सली और 60 माओवादी गिरफ्तार किये गए हैं. माओवादी विरोधी अभियान के तहत सुरक्षाबलों द्वारा यह विशेष आपरेशन छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा के नक्सली पकड़वाले बार्डर क्षेत्रों में लगातार चलाया जा रहा है जिसे समय-समय पर और तेज कर दिया जाता है.
नक्सल विरोधी अभियान में लगे पुलिस अधिकारियों के अनुसार आपरेशन ‘प्रहार’ के तहत सुरक्षबलों द्वारा नक्सलियों के ठिकानों पर कई बार हमला किया गया लेकिन वे वहां से निकल भागने में कामयाब रहे हैं. इस दौरान सुरक्षबलों और माओवादियों के बीच 16 बार मुठभेड़ हुई जिसमे 6 नक्सलियों के अलावा 3 सुरक्षाकर्मियों की जानें गईं. मारे गए वामपंथी चरमपंतियों में एक महिला नक्सल भी शामिल है, जिसके बारे में पूरी जानकारी अभी भी नहीं हो पायी है.
पांच नक्सलियों के शवों की बरामदगी की पुष्टि पुलिस के अधिकारियों ने भी किया है. उनके अनुसार आपरेशन ‘प्रहार’ भले ही दो महीनों से चल रहा है. लेकिन नक्सलियों के मारे जाने की कार्यवाही मुख्यतः 10 से 20 फरवरी के बीच हुई मुठभेड़ों के दौरान ही हुई. छत्तीसगढ़ से लगने वाले तीन नक्सल प्रभावित राज्यों के बॉर्डर क्षेत्रों में राज्य पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा चलाये गए माओवादी विरोधी विशेष आपरेशन ‘प्रहार’ मे 6 नक्सली और 60 माओवादी गिरफ्तार किये गए हैं.
माओवादी विरोधी अभियान के तहत सुरक्षाबलों द्वारा यह विशेष आपरेशन जनवरी से मुख्यतः तीन राज्यों, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा के नक्सली पकड़वाले बार्डर क्षेत्रों में लगातार चलाया जा रहा है.
दिप्रिंट द्वारा संपर्क करने पर बस्तर रेंज के पुलिस महानिरिक्षक सुंदरराज पी ने बताया, ‘यह विशेष आपरेशन 2017 मानसून के बाद निश्चित अवधि के लिए हर वर्ष लगातार चलाया जाता रहा है. हालांकि 2019 में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों की वजह से इस बार आपरेशन ‘प्रहार’ जनवरी 2020 से चलाया जा रहा है. मारे गए नक्सलियों में एक जनवरी में मारा गया और बांकी फरवरी में ढेर किये गए हैं.’
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फरवरी में हुई मुठभेड़ों में कमांडो बटालियन फार रेसोल्यूशन (कोबरा) के तीन जवान भी शहीद हुए हैं. सुंदरराज पी ने आगे बताया की सुरक्षबलों ने ये आपरेशन मुख्यतः पीपल्स लिबरेश गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के बटालियन नंबर एक के ठिकानों पर टारगेट कर टोन्डामार्क और बड़े केडवाल के जंगलों में चलाया गया था. इनके अलावा कॉम्बिंग और सर्च आपरेशन अन्य क्षेत्रों में भी लगातार जारी है. नक्सल विरोधी अभियान के ये क्षेत्र ज्यादातर बीजापुर और सुकमा जिलों में ही केंद्रित थे.
गौरतलब है की पीएलजीए माओवादियों का एक खतरनाक मिलिशिया संगठन है, जो छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निरंतर सक्रिय है. माओवादियों द्वारा सुरक्षबलों के खिलाफ किये गए बड़े हमलों में मुख्यतः इसी मिलिशिया संगठन का हाथ रहा है. 6 अप्रैल 2010 में सीआरपीएफ के 76 जवानों और 25 मई 2013 में 27 कांग्रेसी नेताओं के साथ दो पुलिस कर्मियों की जानें भी पीएलजीए के हमलों में गयी थी.
पुलिस के अनुसार डिस्ट्रिक्ट रेगुलर गार्ड (डीआरजी), एसटीएफ और सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन द्वारा संयुक्त रूप से चलाये गए इस अभियान में मारे गए नक्सलियों के शव बरामद कर सुरक्षाबलों द्वारा उनका अंतिम संस्कार भी किया गया है. उनके विषय में और जानकारी एकत्रित की जा रही है.
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पुलिस अधिकारियों द्वारा बताया गया कि करीब दो महीनों से जारी इस आपरेशन में मारे गए पांच नक्सलियों की पहचान हो गयी है, लेकिन एक की नहीं हो पायी है. वहीं , जिस जानकारी कि पुष्टि नहीं हो पायी है उसके अनुसार नक्सलियों के मारे जाने की संख्या 6 से भी अधिक हो सकती है. मारे गए नक्सलियों के अलावा 59 लड़ाकों को गिरफ्तार किया गया है और करीब 30 ने बंदूक छोड़ आत्मसमर्पण भी किया है.
पुलिस अधिकारियों द्वारा दिप्रिंट को बताया गया कि आपरेशन ‘प्रहार’ 2017 से निरंतर चलाया जा रहा है. इस आपरेशन के तहत गुरिल्ला युद्ध में पारंगत करीब 2000 डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ कोबरा के जवान माओवादियों के ठिकानों की खोज कर उनसे सीधा मुठभेड़ और ठिकानों को तबाह करने की कार्यवाही करते हैं. सुंदरराज के अनुसार शुरुआती दिनों में यह अभियान मानसून सीजन के बाद सिर्फ कुछ समय के लिए चलाया जाता था लेकिन अब यह लगातार कई महीनों तक जारी रहता है. आवश्यकता अनुसार आपरेशन की तीव्रता बढ़ाई और कम की जाती है.