नई दिल्ली: योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने सोमवार को दिप्रिंट के ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में कहा कि भारत को अगर 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचना है तो उसकी औसत विकास दर 6 वर्षों में औसतन 9 प्रतिशत होनी चाहिए. हम इस साल 5 प्रतिशत से भी कम के ग्रोथ से बढ़ रहे हैं.
अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘हमें यह पहचानना चाहिए कि हम एक कठिन परिस्थिति में हैं या नहीं. मेरा विचार है कि हम वित्तमंत्री सीतारमण की प्रस्तावित 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के पास कहीं नहीं हैं.’
उन्होंने कहा कि देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को लोगों को यह बताना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है. उन्होंने यह भी कहा, बजट तैयार किए जाने पर बात होनी चाहिए. भारत में राजकोषीय घाटे का आकार बहुत कम है.
अहलूवालिया ने मौजूदा सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘जब 1991 में आर्थिक सुधार शुरू तब भारत कम आय वाला देश था. इसके बाद यूपीए के कार्यकाल में ये मध्यम आय वाले देश में शामिल हो गया. लेकिन बीते सालों में ये फिर से कम आय वाला देश हो गया.’
उनका कहना था कि जैसे ही उदारीकरण होता है तो ये देखा जाना चाहिए की प्राइवेट सेक्टर सही काम कर रहा है या नहीं. प्राइवेट सेक्टर को मदद देनी चाहिए, क्योंकि उनमें प्रतिस्पर्धा रहती है, जो उन्हें ज्यादा सक्षम बनाती है. अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर उन्होंने ने कहा कि जो काम करने में देश को 30 साल लगे उसे 15 सालों में भी किया जा सकता था.
दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता के साथ दिल्ली में ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में बात करते हुए अहलूवालिया ने कहा कि यूपीए गठबंधन के अंदर नरसिम्हा राव कांग्रेस उतनी शक्तिशाली नहीं थी.
अहलूवालिया ने कहा, आर्थिक सुधार बहुत धीरे-धीरे हुआ. भारत में 1980 के बाद से ही आर्थिक सुधार होने लगे थे. सबकुछ सरकार के हाथ में ही था. पहले पुराने तरीके से काम होते थे क्योंकि सरकार का अर्थव्यवस्था पर पूरा नियंत्रण था.
उन्होंने यह भी कहा कि राजीव गांधी ने कहा था कि हमें 21वीं सदी में जाना चाहिए. पहले लोग सिस्टम को इम्प्रूव करने की बात करते थे लेकिन राजीव उसे बदलना चाहते थे.
रीजनल कम्प्रिहेंसिव इकॉनमिक पार्टनरशिप शामिल न होना एक बड़ी भूल
रीजनल कम्प्रिहेंसिव इकॉनमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘हमें इसमें शामिल होना चाहिए. यह बड़ी भूल थी. एशिया दुनिया का बढ़ता हिस्सा है और यह दुनिया का वह हिस्सा है जिसे हम एकीकृत करना चाहते हैं.
मनमोहन सिंह पार्टी में एक स्वाभाविक पसंद नहीं थे
अहलूवालिया ने कहा कि मनमोहन सिंह पार्टी में एक स्वाभाविक पसंद नहीं थे, क्योंकि उन्हें सोनिया गांधी द्वारा नियुक्त किया गया था. न्यूक्लियर डील पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अगर मनमोहन सिंह का साथ सोनिया गांधी नहीं देतीं तो डील नहीं हो पाती.
यूपीए सरकार पर टिपण्णी करते हुए उन्होंने कहा कि हमने किसी भी सरकार की तुलना में सबसे ज्यादा ग्रोथ किया था.
मोदी सरकार के कार्यकाल में आंकड़ों के हेरफेर के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘सर्वेक्षण के आंकड़ों में आसानी से हेरफेर नहीं किया जाता है. लेकिन रोजगार सर्वेक्षण के मामले में, डेटा आम चुनावों के बाद तक जारी नहीं किया गया था. सांख्यिकीय प्रणाली में रिलीज की पूर्व निर्धारित तारीखें होनी चाहिए.
अनुसंधान और विकास के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘हमारे अनुसंधान और विकास के साथ समस्या यह है कि हम इसे सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को धन आवंटित कर करते हैं. वास्तव में, हमें इसके लिए एक कोष स्थापित करना चाहिए और सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की इकाइयों को इसके लिए प्रतिस्पर्धा करने देना चाहिए.’ भारत में आईटी के लिए सबसे बड़ी बात दूरसंचार क्षेत्र की क्रांति का होना था.