लखनऊ: गोरखपुर के डाॅ कफील खान को यूपी एसटीएफ ने देर शाम भड़काऊ भाषण के आरोप में मुंबई से गिरफ्तार किया है. उन पर अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण और धार्मिक भावनाएं को भड़काने के आरोप हैं. यूपी एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने इस बात की पुष्टी की है. बता दें कि 13 दिसंबर को अलीगढ़ में एफआईआर लिखी गई थी.
एएमयू में भड़काऊ भाषण का आरोप
दिप्रिंट को मिली एफआईआर काॅपी के मुताबिक , डाॅ कफील पर धर्म, नस्ल, भाषा के आधार पर नफरत फैलाने के मामले में धारा 153-ए के तहत केस दर्ज किया गया है. इसमें लिखा गया है कि 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों के सामने दिए गए संबोधन में धार्मिक भावनाओं को भड़काया और दूसरे समुदाय के प्रति शत्रुता बढ़ाने का प्रयास किया. इसमें ये भी बताया गया है कि 12 दिसंबर 2019 को शाम 6.30 बजे डॉ. कफील और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष व एक्टिविस्ट डॉ. योगेंद्र यादव ने एएमयू में लगभग 600 छात्रों की भीड़ को संबोधित किया था जिस दौरान कफील ने ऐसी भाषा का प्रयोग किया. दरअसल कफील सीएए-एनआरसी के खिलाफ वहां संबोधन देने आए थे.
एफआईआर में दिए विवरण में लिखा है कि डाॅ. कफील बोले- ‘मोटा भाई हर किसी को सिखाता है कि हिंदू बनेगा या मुस्लिम बनेगा लेकिन इन्सान नहीं बनेगा. क्यों कत्ल करने वाले तू क्या जाने जिसके खुद के कपड़े में खून के छीटो से दाग लगे हो वो कातिल उस दाग को छिपा कैसे पाएगा.’
दरअसल उनका निशाना गृहमंत्री अमित शाह पर था. इसके अलावा उन्होंने आरएसएस पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘जिस दिन से आरएसएस पैदा हुई उस दिन से उन्हें संविधान पर विश्वास नहीं.’ इसके अलावा विवरण में ये भी दावा किया गया है कि डाॅ.कफील ने कहा, ‘एनआरसी के लिए तैयार हो जाओ. हम पच्चीस करोड़ हैं, न तुम हमें डरा सकते हो. हम तुम्हें बताएंगे देश कैसे चलेगा.’ पुलिस के पास पूरे भाषण के वीडियो फुटेज है.
मेडिकल काॅलेज मामले में भी चल रही है जांच
बता दें कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में अगस्त 2017 में 60 से अधिक बच्चों की आकस्मिक मृत्यु के मामले में डाॅ. कफील का नाम सामने आया था जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया था. वह कई महीने जेल में भी रहे थे. बाद में स्थानीय मीडिया में उनसे सभी आरोप हटाए जाने की खबरें आईं, डाॅ कफील ने खुद भी क्लीन चिट मिलने का दावा किया था लेकिन बीते साल सितंबर में योगी सरकार ने साफ कर दिया था कि उन्हें इस मामले में कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है वहीं दूसरी तरफ उन पर तीन नए आरोपों की जांच शुरू कर दी गई थी.
यह भी पढ़ें: बीआरडी मामले में डॉ. कफ़ील का दावा- दोषमुक्त हुआ लेकिन सरकार ने कहा, ‘नो क्लीन चिट’
सरकार की ओर से मीडिया को बताया गया था कि कफील पर सरकारी सेवा में सीनियर रेजीडेन्ट व नियमित प्रवक्ता के सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने व निजी नर्सिंग होम का संचालन करने का आरोप साबित हो गया है. इसके अलावा उन पर बहराइच जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग में जबरन घुसकर इलाज करने, अफरातफरी फैलाने का भी आरोपों की जांच चल रही है.