गर्भपात की समय सीमा 20 हफ्ते थी, जिसे बढ़ा कर 24 हफ्ते कर दिया गया है. मोदी सरकार का यह निर्णय प्रगतिशील और बढ़िया कदम है. यह कई पश्चिमी लोकतंत्रों को रोल मॉडल प्रदान करता है, जो बढ़ते गर्भपात विरोधी लॉबी का सामना कर रहे हैं. यह भारतीय महिलाओं को उनके शरीर पर और अधिक अधिकार देता है. अब इस विधेयक में स्पष्ट रूप से गैर-विवाहित महिलाओं को भी शामिल करना चाहिए.