नई दिल्ली: बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू ने उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को पार्टी से निकाल दिया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जेडीयू द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर किया गया है. साथ ही बयान में यह भी कहा गया है कि महासचिव पवन वर्मा को भी पार्टी से निकाला गया है. पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वज़ह से दोनों नेताओं को निकाला गया है.
JD (U) expels its vice president Prashant Kishor from party: JD(U) statement
— Press Trust of India (@PTI_News) January 29, 2020
पार्टी से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर लिखा, ‘शुक्रिया नीतीश कुमार. मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने के लिए मेरी शुभकामनाएं. ईश्वर आपका भला करे.’
Thank you @NitishKumar. My best wishes to you to retain the chair of Chief Minister of Bihar. God bless you.??
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 29, 2020
पिछले कई दिनों से प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बीच तल्खियां सामने आ रही थी. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रशांत लगातार नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध कर रहे थे. पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें अमित शाह के कहने पर पार्टी में शामिल किया गया था. जिसके बाद किशोर ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर हमला किया था और कहा कि वे झूठ बोलना बंद करें.
राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि ये जेडीयू का आंतरिक मामला है. ये अब पार्टी नहीं रह गई है. यह भाजपा की ‘बी’ टीम की तरह काम कर रही है. राजद में इन दोनों नेताओं के शामिल होने की संभावनाओं पर तिवारी ने कहा कि ये बात तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था कि नीतीश कुमार सही नहीं बोल रहे हैं. इससे पता चल रहा है कि आप (नीतीश) में गिरावट आयी है. आप मुझे पार्टी में क्यों और कैसे लाए, इसको लेकर गलतबयानी की जा रही. आपका मुझे अपने रंग में रंगने का यह बहुत ही कमजोर प्रयास है. अगर आप सच बोल रहे हैं तो अब भी कौन विश्वास करेगा कि आपमें इतनी हिम्मत है कि अमित शाह द्वारा भेजे गए आदमी की बात न सुनें?
प्रशांत किशोर के बारे में नीतीश ने कहा था, ‘उनके कई लोगों के साथ संबंध हैं. मैंने पहले भी कहा है, हमने उन्हें अमित शाह के कहने पर पार्टी में शामिल किया है.’
बता दें, यह विवाद सीएए और एनआरसी के मुद्दे से शुरू हुआ. जिसपर जेडीयू के नेता पवन वर्मा और प्रशांत किशोर की राय अपनी पार्टी के नेताओं से अलग थी.