नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को परखने का आग्रह करने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगा.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई में एक पीठ द्वारा 143 याचिकाओं पर सुनवाई किए जाने की संभावना है. इन याचिकाओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं.
इसी पीठ ने 18 दिसंबर को विभिन्न याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी दी थी जिससे यह कानून बन गया था. नागरिकता संशोधन विधेयक को 9 दिसंबर को लोकसभा और 11 दिसंबर को राज्यसभा से पारित कराया गया था. बता दें कि इस बिल के कानून बनने के बाद से ही देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं.
विपक्षी दलों के नेताओं और कई विश्वविद्यालयों समेत आम लोगों की तरफ से भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले एक महीने से भी ज्यादा से महिलाएं इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. इसी तरह के प्रदर्शन देशभर के कई जगहों पर हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि ये कानून भेदभाव वाला है जिसमें तीन पड़ोसी मुल्कों के छह समुदाय के लोगों को दी जानी वाली नागरिकता से मुस्लिम लोगों को बाहर कर दिया गया है जिससे इस समुदाय में हीन भावना पैदा हुई है.
जानकारों सहित जो भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है उनका कहना है कि ये संविधान के खिलाफ है. वहीं सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं समेत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि ये कानून नागरिकता देने वाला है न कि छीनने वाला.
मंगलवार को लखनऊ में हुई एक सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि विपक्ष कितना भी विरोध कर लें ये कानून वापस नहीं लिया जाएगा. वहीं कुछ दिन पहले एक रैली में बोलते हुए शाह ने कहा था कि जो भी नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं वो सभी दलित विरोधी हैं.
पूर्वोत्तर के नौ विश्वविद्यालयों के छात्रों ने बुधवार को संस्थानों को पूरी तरह बंद रखने का आह्वान किया
पूर्वोत्तर क्षेत्र के नौ विश्वविद्यालयों के छात्रों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के मद्देनजर बुधवार को सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को पूरी तरह बंद रखने का आह्वान किया है.
न्यायालय सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करने वाला है.
छात्रों ने एक संयुक्त अपील में मंगलवार को कहा, ‘हम, पूर्वोत्तर के विश्वविद्यालयों का छात्र समुदाय, न्यायालय में सीएए पर सुनवाई के दौरान क्षेत्र के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को पूरी तरह बंद रखने की घोषणा करते हैं.’
यह अपील असम के छह विश्वविद्यालयों और मेघालय, अरुणाचल प्रदेश तथा नगालैंड के एक-एक विश्वविद्यालय के छात्रों ने की है.
इसके साथ ही कॉटन विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने कल सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक परिसर में व्यापक प्रदर्शन का आह्वान किया है और आम जनता से इससे जुड़ने की अपील की है.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)