नई दिल्ली : जेएनयू हिंसा मामले में 43 संदिग्धों में से 34 लोग जो व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्य थे, उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा नोटिस भेजा जाएगा. 3 लोग समेत कुल 8 संदिग्धों की जांच की गई है जिन्हें पुलिस ने नामित किया था. जेएनयू मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मंगलवार को दो और संदिग्धों से पूछताछ की. पांच जनवरी को जेएनयू परिसर में नकाबपोश लोगों की भीड़ ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने सुचेता तालुकदार और प्रिया रंजन से हमले के बारे में पूछताछ की.
Correction: Government Sources – In JNU violence case, out of 43 suspects, 34 people who were members of a WhatsApp group will be sent notices by Delhi Police. Total 8 suspects have been examined, including 3, who were named by the Police. pic.twitter.com/OT2NfjIyvl
— ANI (@ANI) January 14, 2020
तालुकदार ने कहा, ‘मैंने पुलिस को डेढ़ पन्ने का बयान दिया. उन्होंने मुझसे पांच जनवरी की घटना के बारे में पूछा जैसे कि मैं उस दिन कहां थी, घायल छात्रों का विवरण और क्या मैं किसी और को पहचान सकती हूं. मुझे मेरी तस्वीर दिखाई गई (वह तस्वीर जो पुलिस ने पिछले हफ्ते संवाददाता सम्मेलन में जारी की थी).
सूत्रों के मुताबिक तालुकदार ने पुलिस को बताया कि तस्वीर बहुत धुंधली है. अधिकारियों ने बताया कि अपराध शाखा हमले में घायल कुछ और लोगों से पूछताछ करेगी. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस उन लोगों से भी पूछताछ करेगी जिन्होंने हमले वाले दिन पुलिस के नियंत्रण कक्षों में फोन किए थे. जेएनयू हमले में छात्रों और शिक्षकों समेत कुल 34 लोग घायल हुए थे. अपराध शाखा के अधिकारियों ने सोमवार को जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष समेत तीन छात्रों से पूछताछ की थी.
घोष, तालुकदार, रंजन, दोलन सामंत, व्हास्कर विजय मेक, चुनचुन कुमार (पूर्व छात्र) और पंकज मिश्रा के नाम संदिग्धों में शामिल हैं अधिकारियों ने बताया कि फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला का दल (साइबर) साक्ष्य एकत्रित करने विश्वविद्यालय परिसर में जाएगा.
अदालत ने व्हाट्सऐप, गूगल को पुलिस द्वारा मांगी गई जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सऐप और गूगल को जेएनयू हिंसा के संबंध में पुलिस द्वारा मांगी गई जानकारी संरक्षित रखने और उपलब्ध करवाने का मंगलवार को निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने पुलिस से भी कहा कि वह उन दो व्हाट्सऐप ग्रुपों के सदस्यों के फोन नंबर जल्द से जल्द हासिल करे जिन पर पांच जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा का समन्वय किया गया था.
न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन को पुलिस द्वारा मांगे गए हिंसा के सीसीटीवी फुटेज जल्द से जल्द उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया. अदालत ने जेएनयू के प्रोफेसर अमीत परमेश्वरन, अतुल सूद और शुक्ला विनायक सावंत की ओर से दायर याचिका पर ये निर्देश दिए. याचिका में दिल्ली पुलिस आयुक्त और दिल्ली सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश देने की मांग की गई.
पांच जनवरी को नकाबपोश लोगों की भीड़ ने जेएनयू परिसर में घुसकर तीन हॉस्टलों के छात्रों को निशाना बनाया था. नकाबपोशों के हाथों में लाठियां और लोहे की छड़ें थीं. उन्होंने तीन होस्टलों में छात्रों को पीटा और परिसर में तोड़फोड़ की. इस घटना के सिलसिले में वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में तीन प्राथमिकियां दर्ज करवाई गई हैं.
घायल छात्रों के बयान दर्ज करने के लिए एनएचआरसी टीम ने जामिया का दौरा किया
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में पिछले महीने पुलिस कार्रवाई के दौरान घायल हुए छात्रों के बयान दर्ज करने के लिए मंगलवार को वहां का दौरा किया.
इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि करीब 35-40 छात्र आयोग के समक्ष अपने बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित हुए. आयोग ने एसएसपी मंजिल सैनी के नेतृत्व में एक टीम इस बात की जांच करने के लिए नियुक्त की है कि क्या विश्वविद्यालय परिसर में हुई घटनाओं में मानवाधिकार हनन हुआ है.
बता दें, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति ने कहा था कि परिसर में 15 दिसंबर को पुलिस की बर्बरता के खिलाफ एफआईआर के लिए अदालत जाने की संभावना तलाशेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)