नयी दिल्ली: भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक बृहस्पतिवार से जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर जाएंगें. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा पिछले वर्ष समाप्त किये जाने के बाद राजनयिकों का यह पहला दौरा होगा.
दिल्ली से ये राजनयिक बृहस्पतिवार को हवाई मार्ग से श्रीनगर जाएंगे और वहां से वे जम्मू जाएंगे. वे वहां पर उप राज्यपाल जी सी मुर्मू के साथ ही नागरिक समाज के लोगों से भी मुलाकात करेंगे.
इनमें बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरोक्को, नाइजीरिया आदि देशों के भी राजनयिक शामिल होंगे.
ये कदम अमरीका की कॉन्गेंस की सुनवाई के तीन महीनें बाद उठाया जा रहा है जिसमें कहा गया था कि न तो अमरीका के राजनयिक और न ही अन्य राजनयिकों को अगस्त में विशेष दर्जा हटाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में जाने की भारत सरकार ने अनुमति दी थी.
अमरीकी विदेश मंत्रालय की दक्षिण और केंद्रीय एशियाई मामलों एक्टिंग सेक्रेटरी, एलिस वेल्स ने कहा था कि अमरीका को अनुच्छेद 370 हटाने पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि ये भारत का आंतरिक मामला है पर उसे वहां के मानवाधिकार स्थिति की चिंता है.वेल्स ने साथ ही इस बात पर चिंता जताई थी कि ‘जिस तरह से भारतीय प्रशासन ‘ ने इस निर्णय को कार्यांवित किया. जम्मू-कश्मीर में संचार पर गहन प्रतिबंध लगा दिए और स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया.
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि ब्राजील के राजनयिक आंद्रे ए कोरिये डो लागो के भी जम्मू कश्मीर का दौरा करने का कार्यक्रम था. यद्यपि उन्होंने यहां अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते दौरे पर नहीं जाने का फैसला किया.
ऐसा माना जाता है कि यूरोपीय संघ के देशों के प्रतिनिधियों ने किसी अन्य तिथि पर केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने की बात कही है. यह भी माना जाता है कि इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करने की इच्छा जताई है.
अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को दौरा करने वाले राजनयिक नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी जाएगी.
उसी दिन राजनयिकों को जम्मू ले जाया जाएगा जहां वे उप राज्यपाल जी सी मुर्मू और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे.
सूत्रों ने बताया कि कई देशों के राजनयिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया था कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटने के बाद की स्थिति का जायजा लेने के लिए कश्मीर का दौरा करने की अनुमति दी जाए.
इस कदम से भारत को कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार को ध्वस्त करने में मदद मिलेगी.
विदेश मंत्रालय गृह मंत्रालय के साथ ये दौरा करवा रहा है और इसकी मंशा ये दिखाना है, कि ‘कैसे सरकार स्थिति को सामान्य करवाने का काम कर रही है. ‘
एक उच्च अधिकारी जोकि इस यात्रा से जुड़ा है उसने बताया कि दिल्ली में रह रहे कुछ राजनयिक केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर के दौरे पर जाने की मांग करते रहे हैं.
इस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ‘हम हमेशा से कहते रहे हैं कि वहां की स्थिति का जायज़ा लेने, जम्मू कश्मीर प्रशासन से स्थानीय स्थिति से अवगत होने के बाद ही इस अर्जी पर विचार करेंगे.’
भारत ने जी-पांच देशों और विश्व के सभी देशों की राजधानियों से संपर्क कर अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त करने के निर्णय पर अपना मत रखा था.
इससे पहले दिल्ली के एक थिंक टैंक द्वारा यूरोपीय संघ के 23 सांसदों के शिष्टमंडल को जम्मू कश्मीर का दो दिवसीय दौरे पर ले जाया गया था.
हालांकि सरकार ने उसे निजी दौरा बताया था.
(नयनिमा बासुके इनपुट्स के साथ)