रांची: टाटा कंपनी की इस वक्त कुल नेटवर्थ 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा है. इसके संस्थापक जमशेदजी टाटा के नाम पर 1919 में तत्कालीन बिहार में जमशेदपुर नामक शहर बसाया गया. अब झारखंड के इस शहर में बीते मंगलवार को एक मां ने अपने बच्चे को दो हजार रुपए में बेच दिया. क्योंकि बच्चे को भूख और ठंड से बचाने के लिए उसके पास न तो पैसे थे, न ही उसकी उम्मीद.
हिन्दुस्तान अखबार में छपी खबर के मुताबिक भीख मांग कर गुजारा करने वाली उस महिला ने बताया कि अगर वह अपने बच्चे को नहीं बेचती तो वह मर जाता. टाटानगर स्टेशन के बार चाईबासा स्टैंड के पास स्कूटी सवार तीन लोग (युवक, युवती और एक वृद्ध महिला) आए थे. आरक्षण केंद्र के पीछे पहले से बैठी एक महिला (स्टेशन सफाईकर्मी की ड्रेस में) को वृद्ध महिला ने बैग से निकालकर स्वेटर दिया. जिसे उसने बच्चे को पहना दिया. बच्चे की मां के हाथ पर कुछ रखने के बाद तीनों उस बच्चे को लेकर चले गए. भीख मांगने वाली महिला की तीन साल की बेटी भी है. मां-बेटी दोनों भीख मांगती हैं.
खबर के मुताबिक बच्चा बेचने की सूचना पाकर रेलकर्मी उसके पास पहुंचे और पूछताछ की. महिला ने बताया कि अगर वह उस बच्चे को नहीं बेचती तो वह ठंड और भूख से मर जाता.
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इधर बुधवार को अखबार में खबर छपने के बाद झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने तत्काल ध्यान देते हुए जमशेदपुर के जिलाधिकारी को मामले को देखने और जरूरी कार्रवाई करने को कहा है. इस संबंध में उन्होंने एक ट्वीट भी किया है.
इधर जमशेदपुर रेल डीएसपी नूर मुस्तफा ने बताया कि बच्चा 20 दिन का है. महिला भिखारी ने बच्चा स्टेशन सफाईकर्मी विकी मुखी को ही दिया था. विकी ने यह सोचकर लिया कि उसकी साली को बच्चा नहीं था, वही उसको पालेगी. हालांकि जब जांच शुरू हुई तो सफाईकर्मी ने तत्काल बच्चा वापस कर दिया. भिखारी महिला ने बताया कि उसका पति मुंबई में काम करता है. वह उसे बहुत पहले छोड़ चुका है. ऐसे में भीख मांगकर और स्टेशन पर सोकर अपना गुजारा करती है. रेल पुलिस ने बच्चा बरामद कर लोकल थाना बागबेड़ा को सौंप दिया है.
खबर छापने वाले रिपोर्टर अरविंद सिंह ने बताया कि जब उन्होंने उस महिला से पूछा कि क्यों बेचा तो उसने कहा कि खुद और बेटी को जिंदा रखने के लिए तो भीख मांगना पड़ता है. इसको अपने पास रखते तो कहां से खिलाते-पिलाते. यह तो मर ही जाता. इसलिए बेच दिए. मिले वीडियो में उक्त महिला यह स्वीकार करती दिख रही है. हालांकि उसने यह नहीं बताया कि इसके बदले उसे कितने पैसे मिले.
जमशेदपुर के जिलाधिकारी रविशंकर शुक्ला ने कहा कि बच्चे को स्थाई तौर पर बेचा था या अस्थाई तौर पर देखरेख के लिए दिया था, यह अभी स्पष्ट नहीं है. शुक्ला ने यह भी बताया कि महिला के दोनों बच्चों को प्रति माह 2-2 हजार रुपये सरकार देगी. यह पैसा समाज कल्याण विभाग की ओर से दिया जाएगा.
‘भिखारी महिला और उसके बच्चे दोनों की तबीयत खराब है. उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जैसे ही वह ठीक होती है, उन्हें शेल्टर होम में शिफ्ट करा दिया जाएगा.’
2018 में लोकसभा में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक झारखंड में 10,819 भिखारी हैं. इसमें 5,522 पुरुष और 5,297 महिला भिखारी हैं. वहीं देशभर में कुल 4,13,670 भिखारी हैं. इसमें 2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिला भिखारी हैं.
इससे पहले बीते 5 जनवरी को चाइबासा सदर अस्पताल में एक बच्चे को अस्पताल प्रबंधन की ओर से केवल भात परोस दिया गया. जबकि दाल और सब्जी देने की भी व्यवस्था है. इस बच्चे की मां-पिता की हत्या 3 जनवरी को हो गई थी. घटना में इसके अलावा एक भाई और बड़ी बहन घायल हो गए थे. चाइल्ड लाइन की देखरेख में इन अनाथ बच्चों का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है.
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चाइल्ड लाइन की सदस्य सुनीता करुआ ने इस पर आपत्ति जताई तो अस्पताल की ओर से आधे घंटे बाद दाल और सब्जी दिया गया. तब तक बच्चा भात खा कर सो गया था. सीएम ने इस मामले में भी ट्वीट कर चाईबासा के जिलाधिकारी को कार्रवाई करने को कहा जिसके बाद डीसी ने खुद मामले की जांच कर दोषी कर्मी को निलंबित कर दिया था.
ये हाल तब है जब पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान पूरे राज्य में कुल 22 लोगों की मौत भूख की वजह से हो गई थी. 2017 में सिमडेगा की संतोषी कुमारी भात-भात करती मर गई थी. उसे खाना नहीं मिला था. सीएम हेमंत सोरेन ने चुनावों में इस मुद्दो को जोरदार तरीके से उठाया था. हालांकि तत्कालीन बीजेपी सरकार ने एक मौत को भी भूख से हुई मौत नहीं माना था.