नई दिल्ली: जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार कैंपस हिंसा विवाद के केंद्र में हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले साल पीएमओ को बताया था कि वीसी जगदीश कुमार जेएनयू का चरित्र बदलने के लिए आए हैं.
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किए गए नोट में भी कहा गया है कि बदलाव की जरूरत हो सकती है लेकिन यह बदलाव कैलिब्रेट किया जाना चाहिए और अधिक सहज साधनों के माध्यम से लाया जाना चाहिए.
एम जगदीश कुमार 2016 में जेएनयू के वीसी बने थे, पिछले साल अक्टूबर में हुए फीस वृद्धि के मुद्दे से निपटने के मामले में शिक्षकों और छात्रों ने आलोचना की थी और अब, कैंपस में रविवार की हिंसा के बाद, जिसमें नकाबपोश उपद्रवियों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया और संपत्ति के साथ छेड़छाड़ की, उनके इस्तीफे की मांग तेज़ हो गई है.
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फीस वृद्धि के विरोध के बाद पैदा हुई स्थिति को पीएमओ से अवगत कराने के लिए मंत्रालय द्वारा नवंबर में नोट भेजा गया था जिसमें यह इंगित किया गया था कि जेएनयू में सामने आए संकट की वजह का पता ‘कुलपति द्वारा जेएनयूएसयू को गैर-मान्यता देने के आधार पर लगाया जा सकता है, जिनके अनुसार विश्वविद्यालय प्राधिकरण द्वारा लिंगदोह समिति की रिपोर्ट के तहत निर्धारित किए गए मानकों के अनुसार चुनाव नहीं किया गया है.’
मंत्रालय ने कहा, ‘कुलपति विश्वविद्यालय के चरित्र को बदलने के एजेंडे के साथ आए हैं. कई मामलों में इसकी आवश्यकता हो सकती है. परिवर्तन को कैलिब्रेट किया जाना चाहिए और अधिक सहज साधनों के माध्यम से लाया जाना चाहिए
दिप्रिंट ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से नोट पर एक टिप्पणी लेने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय पहुंचा, लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
‘दिखाते हैं लेकिन कोई प्रेम नहीं’
उस नोट में यह भी बताया गया है कि वीसी एक बार भी आंदोलनकारी छात्रों से नहीं मिले और विश्वविद्यालय प्रशासन थम सा गया है.
‘कुलपति और छात्र समुदाय के बीच आपस में प्रेम नहीं बचा है, दिखावा भर रह गया है. कुलपति छात्रों के गुस्से के डर से बैठक नहीं कर रहे हैं. प्रशासन और छात्रों के बीच शायद ही कोई संवाद हो. विश्वविद्यालय प्रशासन थम गया है और छात्र उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं.’
मंत्रालय ने यह भी कहा था कि मान्यता प्राप्त नेतृत्व न होने से वीसी जगदीश कुमार ने जेएनयूएसयू को मान्यता नहीं दी है- इसलिए छात्र ‘बहुत उत्तेजित हो रहे हैं’.
विश्वविद्यालय की स्थिति तेजी से नियंत्रण से बाहर होती जा रही है और छात्र अधिक बेचैन हो रहे हैं और परिसर में दंगे की स्थिति तेजी से उभर रही है.
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि जेएनयू वीसी के कुछ सहयोग से स्थिति को रोका जा सकता था.
अधिकारी ने दावा किया कि जगदीश कुमार ने न केवल हाई-पावर्ड कमेटी का सहयोग करने से इंकार कर दिया था, जो कि मंत्रालय द्वारा शुल्क के मुद्दे को हल करने के लिए नियुक्त की गयी थी और साथ ही शिक्षकों के साथ भी निरंतर संघर्ष होता रहा.
अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने व्हाट्सएप पर परीक्षा आयोजित करने जैसे आदेश पारित किए, जिससे संस्थान की शैक्षणिक विश्वसनीयता में गिरावट आएगी.’
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