सीएए और एनआरसी के खिलाफ छात्रों के विरोध की आलोचना कर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पूरी तरह से गलत हैं. वह तथ्यात्मक रूप से भी गलत हैं. यह विरोध स्वतःस्फूर्त और नेतृत्वहीन था. वर्दी में रहने वालों को अपने कर्म और शब्द में न्यूट्रल होने की आवश्यकता है. सेना के राजनीतिकरण की भारत को जरूरत नहीं है.