नई दिल्ली: मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (एचआरडी) के एक आंतरिक रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में आंशिक तौर पर हॉस्टल फीस को वापस लिए जाने पर भी ये देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रहने और पढ़ने के लिए सबसे महंगी होगी.
इस रिपोर्ट में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालयय, दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हॉस्टल फीस की तुलना की गई है.
दिप्रिंट द्वारा पिछले महीने किए गए एक तुलनात्मक अध्ययन में भी यही निकलकर आया था कि जेएनयू हॉस्टल फीस सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सबसे ज्यादा होने जा रही है.
रिपोर्ट क्या कहती है
अक्टूबर में जेएनयू ने हॉस्टल फीस में वृद्धि की थी जिसमें सिंगल रुम का किराया 20 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए और डबल रुम का किराया 10 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए कर दिया था. ये भी घोषणा की गई थी कि सर्विस चार्ज बढ़ाकर 1700 रुपए प्रति माह कर दिया गया है.
इस योजना के तहत, जेएनयू में सालाना हॉस्टल फीस बढ़कर 32,620 रुपए से 63,700 हो जाएगी. ये जानकारी एचआरडी के रिपोर्ट के अनुसार है जिसका दिप्रिंट ने अध्ययन किया है.
हालांकि छात्रों द्वारा लगातार किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने आंशिक तौर पर फीस को वापस ले लिया था और सर्विस चार्ज घटाकर 1000 रुपए प्रति माह कर दिया था. रिपोर्ट कहती है कि ऐसा करने के बाद भी हॉस्टल फीस सालाना 48,00 रुपए प्रति साल होगी. जो कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सबसे ज्यादा होगी.
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बाकी विश्वविद्यालयों में ये 14000-35000 सालाना होगी जिसमें मेस बिल भी शामिल है. दिल्ली विश्वविद्यालय एकमात्र अपवाद है जहां ये 47,800 प्रति साल है जिसमें मेस बिल भी शामिल है.
रिपोर्ट में रुम किराया, सर्विस चार्ज, मेस चार्ज का अध्ययन किया है और कहा है कि जेएनयू में 10,200 रुपए का सर्विस चार्ज सबसे ज्यादा है. बीएचयू और एएमयू कोई सर्विस चार्ज नहीं लेती है जबकि जामिया, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय सर्विस चार्ज के तौर पर क्रमश: 1000, 2000 और ,7650 रुपए है.
बात अभी तक नहीं बन सकी है
अभी तक केंद्र सरकार जेएनयू छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच के तनातनी का समाधान नहीं कर सकी है. हालांकि सरकार की तरफ से शुरूआत में हस्तक्षेप किया गया था.
18 नवंबर को मंत्रालय ने एक पैनल का गठन किया था जिसमें यूजीसी के चैयरपर्सन वीएस चौहान, यूजीसी सचिव रजनीश जैन और ऑल इंडिय टेक्निकल एजुकेशन के चैयरपर्सन अनिल सहस्त्रबुद्धे शामिल थे जिनका काम इस पूरे मुद्दे को सुलझाना था.
समिति गठन होने के अगले ही सप्ताह पैनल ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को दे दी थी. जिसमें इस मुद्दे को सुलझाने के तरीके बताए गए थे. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पैनल की रिपोर्ट जो सार्वजनिक नहीं की गई है, वो कहती है कि विद्यार्थियों की मांगों को सुना जाना चाहिए और फीस वृद्धि के फैसले पर दोबारा विचार किया जाए.
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हालांकि समिति की रिपोर्ट पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है और छात्र अभी भी प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ ने तो परीक्षाओं का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
इस दौरान उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम का मंत्रालय से तबादला कर दिया गया है.
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