नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों का विरोध प्रदर्शन अपने दूसरे महीने में है और फ़ीस वापसी की मांग के लिए वो अपना सेमेस्टर एक्ज़ाम छोड़ने पर अड़े हैं, इस दौरान उन्हें मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय से सकारात्मक आश्वासन मिला है.
जेएनयू छात्र संघ के कुछ छात्रों ने उच्चा शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम से मंगलवार को मुलाकात की. सचिव ने उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया है कि उनकी मांगों को सकारात्मक तरीके से देखा जाएगा.
आर सुब्रमण्यम ने दिप्रिंट से कहा, ‘छात्रों से आज मुलाकात हुई, ये सकारात्मक रही. हम मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं और छात्रों के साथ प्रशासन की सुलह करवाने का प्रयास कर रहे हैं.’
मंत्रालय ने मामले को सुलझाने के लिए 18 नवंबर को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) के पूर्व चेयरपर्सन वीएस चौहान, यूजीसी सेक्रेटरी रजनीश जैन और ऑल इंडिया काउंसिल फ़ॉर टेक्निकल एजुकेशन के चेयरपर्सन अनिल सहस्रबुद्धे के एक पैनल का गठन किया था.
दो हफ्ते पहले पैनल ने मामले में रास्ता सुझाते हुए अपनी रिपोर्ट दी थी. अभी तक मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है. मंत्रालय के सूत्रों का इस बारे में कहना है कि पैनल की रिपोर्ट में ये सलाह दी गई थी कि छात्रों की मांगें सुनी जानी चाहिए और बढ़ी हुई फ़ीस पर फ़िर से विचार होना चाहिए.
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छात्रों से ताज़ा मुलाकात के बाद ऐसी संभावना है कि मंत्रालय, यूनिवर्सिटी से बातचीत करके मामले का हल निकालने को कहा गया है.
आशंकित हैं छात्र
हालांकि, छात्रों में इस बात की आशंका है कि यूनिवर्सिटी, सरकार के निर्देशों को मानेगा या नहीं, क्योंकि ये एक स्वायत्त संस्था है और मंत्रालय की इसमें कोई सीधी भूमिका नहीं है.
नाम न बताने की शर्त पर मंत्रालय के साथ मुलाकात में शामिल एक छात्र ने कहा, ‘मंत्रालय ने हमें पूरी तरह से भरोसा दिलाया है…उन्होंने हमारी तमाम मांगों को गंभीरता से लिया है और सैद्धांतिक तौर पर इसे लेकर सहमति जताई है. लेकिन हमें इस बात का डर है कि जेएनयू प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं होगा. वो हमें लगातार बताते रहे हैं कि ये एक स्वायत्त संस्था है और मंत्रालय का आदेश मानना उनके लिए ज़रूरी नहीं है.’
एक और छात्र ने कहा, ‘जेएनयू प्रशासन ने मंत्रालय द्वारा बनाई गई हाई पावर कमेटी की किसी भी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया, इसके विपरीत उन्होंने अपनी एक और कमेटी बना ली. इससे साफ़ है कि वो मामले को हल करने को लेकर गंभीर नहीं है.’
जेएनयू मे हॉस्टल फ़ीस में बढ़ोतरी का प्रस्ताव अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते में आया था. इससे जुड़ा एक ड्राफ्ट यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था और बढ़ोतरी से जुड़ी सलाह मांगी गई थी. प्रस्ताव के मुताबिक हॉस्टल फ़ीस में डबल सीटर कमरे का किराया 10 से बढ़ाकर 300 और सिंगल सीटर का किराया 20 से बढ़ाकर 600 किए जाने की बात थी, इसमें 1700 प्रति माह रुपए का एक नया सर्विस चार्ज भी शामिल किया गया था.
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तब से अब तक काफ़ी कुछ हुआ है और छात्र लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. इस बीच प्रशासन आंशिक तौर पर फ़ीस वापस लेने को तैयार भी हो गया, हालांकि छात्र इसे पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं और उनका विरोध प्रदर्शन जारी है. 26 नवंबर को जेएनयू प्रशासन ने सर्विस चार्ज घटाकर 1000 प्रति माह कर दिया. हालांकि, रूम रेंट में कोई बदलाव नहीं हुआ. ये बदलाव जेएनयू की आंतरिक कमेटी की सिफारिशों के बाद किया गया.
हालांकि, छात्र इससे संतुष्ट नहीं हैं और फ़ीस पूरी तरह से वापस लिए जाने की अपनी मांग से कदम पीछे हटाने को तैयार नहीं हैं.