कविता जगत में यदि किसी कवि और शायर के नाम से सबसे ज्यादा फेक कवितायें चलती हैं, तो वो ख़िताब गुलज़ार साहब के नाम है. इतना कि एक बार खुद उन्होंने कहा कि व्हाट्सप्प में चल रही 99% कवितायें मेरी नहीं हैं. पर गाहे- बगाहे न सिर्फ आम लोग बल्कि बड़ी हस्तियां भी इस फेक शायरी वाले झांसे में आ जाती हैं. हाल ही में ऐसा फिर से देखने को मिला जब उद्योगपति आनंद महिंद्रा, जो कि, ट्विटर पर एक्टिव रहने के कारण भी मशहूर हैं, ने गुलज़ार के नाम से एक शेर ट्वीट किया.
कविता में लिखा था, ‘खुद से ज्यादा संभल कर रखता हूं मोबइल अपना, क्यूंकि रिश्ते सारे अब इसी में कैद हैं.’
Thank you Gulzarji, for giving me the logic for remaining wedded to my device! ???. (Even if this was a tongue-in-cheek comment, it’s true that mobiles help us stay connected!) pic.twitter.com/P3NTrQ0Z16
— anand mahindra (@anandmahindra) December 9, 2019
आनंद महिंद्रा ने इस ट्वीट को शेयर करते हुए कहा, ‘धन्यवाद गुलज़ार जी, मुझे मेरे फ़ोन से चिपके रहने का कारण बताने के लिए, हालांकि ये बात सच है कि मोबाइल के ज़रिये हम अपनों से जुड़े रहते हैं.’ इस ट्वीट को 4000 से ज्यादा लोगों ने लाइक किया और 400 के करीब ने रीट्वीट भी किया.
पर कई कविता प्रेमियों ने कमेंट्स में ये ध्यान दिलाया कि ये कविता गुलज़ार की नहीं है.
पत्रकार और लेखक नीलेश मिश्रा ने जवाब देते हुए कहा, ‘सर, विचार अच्छा है पर मुझे नहीं लगता ये गुलज़ार ने लिखा है.’
मिश्रा ने इस और भी ध्यान दिलाया कि गुलज़ार के नाम से प्रचलित शेरो-शायरी कि संख्या इतनी है कि #NotByGulzar के नाम से एक हैशटैग तक बनाना पड़ा है.
गुलज़ार हिंदी और उर्दू जगत की जानी मानी हस्ती हैं. वो ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने फिल्मों में लिखते हुए भी अपने लेखन की अनोखी विशेषताओं को कायम रखा. शायद इसलिए हर दौर और उम्र के लोग उनके प्रशंसकों की फेहरिस्त में शामिल हैं. यही कारण है की आज भी सोशल मीडिया पर हर दूसरे दिन उनके नाम से कोई नयी नज़्म जन्म ले लेती है.
गुलज़ार की एक नज़्म ‘आदतें भी अजीब होती हैं’ वायरल होते होते ‘औरतें भी अजीब होती हैं’ बन गयी. इस पर एक बार उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा था, ‘मैं निश्चित तौर पर औरतों को अजीब नहीं कहूंगा.’