नई दिल्ली : विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम में संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह जो संशोधन लेकर आए हैं, उसके तहत एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आवास में रहने वालों के लिए ही होगी तथा सरकार द्वारा आवंटित आवास पर रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को 5 साल की अवधि तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त होगी.
Union Home Minister Amit Shah, in Lok Sabha: SPG cover will also be given to a former Prime Minister and his family, living at a residence allotted by the government, for a period of 5 years. (2/2) pic.twitter.com/Bzn9NjH4qH
— ANI (@ANI) November 27, 2019
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, 2015 के बाद राहुल गांधी ने एसपीजी को बताए बिना भारत के अंदर 1892 बार और विदेशों में बिना एसपीजी को बताए करीब 247 बार यात्राएं की हैं. चिंता किसकी है, किसी वीआईपी की या किसी एक परिवार की?
उन्होंने यह भी कहा, डॉ मनमोहन सिंह की सुरक्षा बदली गई. तब भी किसी ने हल्ला नहीं किया. चिंता करने के दो मापदंड आखिर क्या हैं? सुरक्षा की समीक्षा के बाद चंद्रशेखर जी की सुरक्षा वापस ली गई, कोई नहीं बोला, जबकि चंद्रशेखर जी बहुत बड़े नेता थे, नरसिम्हा राव जी की सुरक्षा ले ली गई, कोई नहीं बोला, आईके गुजराज जी की सुरक्षा ले ली गई. तब भी कोई नहीं बोला.
ऐसी भी बात देश के सामने लाई गई कि गांधी परिवार की सरकार को चिंता नहीं है. सुरक्षा हटाई नहीं गई है. सुरक्षा बदली गई है. उन्हें सुरक्षा जेड प्लस सीआरपीएफ कवर, एएसएल और एम्बुलेंस के साथ दी गई है एक इस प्रकार की बातें देश की जनता के सामने लाई जा रही हैं कि एसपीजी एक्ट को गांधी परिवार की सुरक्षा हटाने के लिए बदला जा रहा है. ये वास्तविकता नहीं है.
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में यह भी कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद यह है कि एसपीजी और प्रभावी बने और उसके काम में किसी भी तरह की कोई कोताही न हो.
उन्होंने यह भी कहा, एसपीजी का गठन 1985 में बनी एक कमेटी के आधार पर हुआ था. 1985-88 तक एसपीजीएक अधिशासी आदेश के तहत काम करती थी. 1988 में एक कानून बना, जिसके तहत एसपीजी काम करने लगी. 1991, 94, 99 और 2003 में इसमें संशोधन हुआ. आज एक और संशोधन लेकर मैं आया हूं.
लोकसभा में एसपीजी संशोधन अधिनियम बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि हम बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील बिल पर बात करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. तिवारी ने कहा, इतिहास इस बात का गवाह कभी भी ऐसे नकारात्मक कदम उठाए गए हैं तो देश को बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है. उन्होंने यह भी कहा, पुलिस व्यवस्था आम आवाम की सुरक्षा के लिए की गयी है.
विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम में संशोधन विधेयक में धारा 4 में एक उपधारा का प्रस्ताव किया गया है कि विशेष सुरक्षा समूह प्रधानमंत्री और उनके साथ निवास करने वाले उनके निकट परिवार के सदस्यों तथा किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री और उनके आवंटित आवास पर निवास कर रहे निकट परिजनों को उस तरीख से, जब वह प्रधानमंत्री नहीं रह जाते हैं, पांच वर्ष तक की अवधि के लिये निकट सुरक्षा प्रदान करेगा.
इस दौरान सदन में गृह मंत्री अमित शाह मौजूद थे. इसमें धारा 4 के खंड ख को प्रतिस्थापित किया गया है कि जहां किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री से निकट सुरक्षा हटा ली जाती है, वहां ऐसी निकट सुरक्षा ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों से भी हटा ली जाए. उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित एसपीजी कमांडो देश के प्रधानमंत्री, उनके परिजनों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके करीबी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा संभालते रहे हैं. सुरक्षा संबंधी खतरों के आधार पर यह सुरक्षा प्रदान की जाती है.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि अधिनियम में भूतपूर्व प्रधनमंत्रियों या उनके कुटुंब के सदस्यों को एसपीजी संरक्षा की व्यवस्था करने की कोई अवधि निश्चित नहीं की गई है. अत: ऐसे व्यक्तियों की संख्या जिन्हें एसपीजी सुरक्षा दी जानी है, काफी अधिक हो सकती है. इस परिप्रेक्ष्य में एसपीजी के संसाधनों , प्रशिक्षण और संबंधित अवसंरचना पर भी प्रभाव पड़ सकता है. अत: अधिनियम में संशोधन की जरूरत समझी गई जिसमें मुख्य आदेश पर ध्यान केंद्रित किया जा सके क्योंकि प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की सुरक्षा, सरकार, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च महत्व की है. पदस्थ प्रधानमंत्री के लिये अत्यंत जरूरी महत्वपूर्ण सुरक्षा को मान्यता देते हुए विशेष सुरक्षा समूह के गठन के लिये अधिनियम बनाया गया था जिसका एकमात्र उद्देश्य प्रधानमंत्री और उनके कुटुंब के सदस्यों को निकट सुरक्षा प्रदान करना है.
एसपीजी अधिनियम के तहत, एसपीजी की सुरक्षा प्रधनमंत्री एवं उनके परिवार के सदस्यों को प्रदान की जाती है. इसके अलावा किसी पूर्व प्रधानमंत्री या उनके परिवार के सदस्यों को पद छोड़ने के एक वर्ष तक इसे प्रदान किया जाता है और एक वर्ष बाद खतरे का आकलन कर सुरक्षा कवर को बढ़ाया जा सकता है. कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष तथा सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया है. हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा कि यह फैसला गृह मंत्रालय का है और इसमें कोई राजनीति नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)