यमुना की बाढ़ को छोटा बताने वाले टीवी कवरेज के पीछे कल्पना की कमी नज़र आती है. निवासी पूरे वर्ष नदी की उपेक्षा करते हैं, उसका दुरुपयोग करते हैं, फिर मानसून पर शोक मनाते हैं. अन्य राज्यों को दोष देने के बजाय, मानसून का लाभ उठाने, यमुना को प्रवाहित रखने और अपनी नदी के साथ दिल्ली के रिश्ते को बहाल करने का समय आ गया है. इसके लिए साबरमती से सीखने की जरूरत.