दिल्ली की सीमा पर युद्ध क्षेत्र जैसे कंटीले तारों भरी किलाबंदी घटिया राजनीति को दिखाता है. यह दिखाता है कि सरकार असंवेदनशील है. किसी भी लोकतंत्र में प्रदर्शन का सामना इस तरह से नहीं हो सकता. 21वीं सदी में राजधानी को बैरिकेड से घेरना काफी बुरा है.
स्विमिंग पूल खुल गए हैं, अब अदालत परिसर में भी सुनवाई होनी चाहिए
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे को सुनिश्चित करना चाहिए की अदालत परिसर में सुनवाई मार्च से पहले ही शुरू हो जाए. भारत तो अब अपने स्विमिंग पूल, सिनेमा हॉल और स्कूल खोल रही है. ई-अदालतों ने इस मुश्किल साल में अच्छी भूमिका निभाई पर अकसर ये एक बंद व्यवस्था रही जिसने जूनियर वकीलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया. अब समय आ गया है कि तेजी के साथ पारदर्शिता भी लाई जाए.
चुनावी राज्यों में ढांचागत सुधारों में निवेश लोकप्रिय कदम है पर दूसरे क्षेत्रों को भुलाना ठीक नहीं
केंद्रीय बजट 2021-22 लोकप्रिय कदम है. मोदी की तरह का एक 24×7 नेता कभी भी चुनावों से अपनी नज़र नहीं हटने देते. पर उन्हें इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने वोटरों को लुभाने के लिए बंदरबाट का रास्ता नहीं अपनाया. पर इसका मतलब नहीं कि बाकी राज्यों को नजरअंदाज किया जाये जो कि एक नया चुनावी जाति व्यवस्था पैदा करे.
बिना कागज का बजट सही कदम पर पूरी तरह से डिजिटल होने के पहले इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी
भारत का पहला कागज रहित बजट सही कदम है. अब सरकार को अपना अधिकतम काम ऑनलाइन कर देना चाहिए और इससे देश के फाइलों के अंबार की संस्कृति खत्म होगी. पर सरकार की साइट्स हैक हुई है और कई वरिष्ठ अधिकारी अभी भी निजी ई-मेल का प्रयोग कर रहे हैं. ये बदलाव फूलप्रूफ डिजिटल सुरक्षा के बिना नहीं हो सकता.
राज्यों के जनसंख्या को नियंत्रित रखने को पुरस्कृत करने के लिए वित्त आयोग की सराहना होनी चाहिए
15वें वित्त आयोग के प्रमुख, एनके सिंह की इस वादे को निभाने के लिए सराहना की जानी चाहिए की वो दक्षिण के राज्यों को टैक्स ट्रांसफर पर चोट नहीं पहुंचने देंगे. जो कि उन्होंने जनसंख्या को ठीक से नियंत्रित कर के किया है. वित्त आयोग के 12.5% का जनसंख्या में बेहतर प्रदर्शन का फायदा दक्षिण के राज्यों को देने का कदम पिछलग्गु राज्यों को उनसे मुकाबला करने का इंसेंटिव देगा.
बजट में वित्त घाटे पर पारदर्शिता ताज़गी भरा कदम है, पर ये सारे आर्थिक डेटा में झलकना चाहिए
मोदी सरकार के वास्तविक वित्त घाटे में पारदर्शिता दिखाने का निर्णय और खाद्य सब्सिडी को न छुपाने का कदम ताज़गी भरा है. पर ये केवल एक शुरुआत है. यही पारदर्शिता सारे आर्थिक डेटा में होनी चाहिए. ये निवेशकों को आश्वस्त करने और वैश्विक रेटिंग एजेंसीस को जवाब देने का सही तरीका था.