भारत को अमेरिका द्वारा महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी के ट्रांसफर की अनुमति इस बात की ओर इशारा करती है कि दोनों देशों के बीच 1960 के दशक के चरम निराशावाद से कितनी दूर चले गए हैं. डी-डॉलरीकरण और बहुपक्षवाद को नजरअंदाज करें. बात अब यह है कि भारत और अमेरिका पहले से कहीं ज्यादा करीब हैं.