जी20 की तैयारियों के साथ भारत में पुराने, हीनता पैदा करने वाला शब्द ‘ग्लोबल साउथ’ की दुर्भाग्यपूर्ण वापसी हुई है. इसमें तीसरे वर्ल्डिज्म की बू आती है. भारत की उतार-चढ़ाव वाली आर्थिक वृद्धि के दौरान यह दो दशकों से निर्वासित था. पर अब एक बार फिर भौगोलिक निर्माण राष्ट्रों की नियति तय कर रहा. यह विचार का इंदिराकरण है.