पटाखों की बिक्री और इसे जलाने पर एनजीटी का प्रतिबंध, एक बार फिर से, सरकारों और न्यायपालिका का वायु प्रदूषण से निपटने का तरीका एपिसोड जैसा, टुकड़ों में है. अचानक प्रतिबंध से न केवल इसका उद्योग बंद हो जाता है, बल्कि इसके रोकने में भी असफल होता हैं. पटाखों पर एक बड़ी नीति, जो समस्या को राष्ट्रीय स्तर देखे, की जरूरत है.
दिल्ली हाई कोर्ट की टीवी चैनलों को सलाह ऐच्छिक है, नागरिक परिवाद की प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत
दिल्ली हाई कोर्ट की टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी को फिल्म कलाकारों की छवि को खराब न करने की ‘सलाह’ के पीछे इरादा भले ही अच्छा हो लेकिन इसे लागू नहीं कराया जा सकता. कौन निर्धारण करेगा कि क्या खराब है और क्या साहसी? लेकिन उपाय यह है कि नागरिक परिवाद प्रक्रियाओं को तेज और मजबूत बनाया जाए. ना कि पूर्व-प्रकाशन के परामर्श के तौर पर.