राजनियक बातचीत के साथ-साथ मोदी और शी जिनपिंग की ममलापुरम में हुई मुलाकात काफी बड़ी है. लेकिन इतिहास में देखें तो भारत चीन को प्रभावित नहीं कर सका है. दोनों देशों के रिश्तों में काफी हलचल हुई है और उसे स्थिर करना पहली प्राथमिकता है. अगर ममलापुरम की बातचीत अच्छी रहती है तो वहां होने वाला नाच-गाना सफल माना जाएगा.
मोदी को स्वदेशी जागरण मंच के आरसीइपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को नज़रअंदाज़ करना चाहिए
आरएसएस के सहयोगी स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीइपी) का विरोध बेमानी है. एक देश जो 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की चाहत रखता है वो संरक्षणवादी नहीं हो सकता. प्रधानमंत्री मोदी को आरएसएस के किसी सहयोगी संगठन से किसी वैधता की दरकार नहीं और उन्हें स्वदेशी जागरण मंच को नज़रअंदाज़ करना चाहिए. आरएसएस को मोदी की जरूरत है, मोदी को आरएसएस की नहीं.