आरबीआई द्वारा सरप्लस फंड को सरकार को हस्तांतरित करने का विवाद अनावश्यक है. यह भुगतान पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित है, न कि सरकार की जिद्द का परिणाम हैं. हालांकि, यह आरबीआई की विश्वसनीयता को आंच नहीं पहुंचाता है, लेकिन मोदी सरकार को नियमित रूप से इस प्रकार की मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.