राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने ‘गौ-विज्ञान’ परीक्षा के लिए भ्रामक संदर्भ सामग्री सामने रखकर गायों और विज्ञान दोनों के ही लिए कोई अच्छा काम नहीं किया है. गाय के दूध की पोषण क्षमता से कोई इनकार नहीं करता है. लेकिन किसी भी सरकारी संस्था को देशी गायों के काल्पनिक गुणों को बखान करते हुए अंधविश्वास और गैर-वैज्ञानिक तथ्यों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. विश्वास विज्ञान का आधार नहीं बन सकता.