पंजाब ने अभूतपूर्व बिजली की कमी के कारण कार्यालय के समय में कटौती की है, हालांकि भारत के बिजली बाजार या क्षमता में कोई कमी नहीं है. यह अधिक बिजली वहन करने में राज्य की अक्षमता को दिखाता है और यह मुफ्त और सब्सिडी के राजनीतिकरण के कारण हुआ है. इसने बिजली वितरण कंपनियों को दिवालिया कर दिया और हमारे उद्योग को अप्रतिस्पर्धी बना दिया है.