बिना सोचे-समझे गिरफ्तारियों और जमानत से इनकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के व्यापक पक्ष की सराहना की जाती है. लेकिन न्यायाधीशों को आदेश पारित करना चाहिए, संपादकीय नहीं. जब अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जाता है तो उन्हें असहाय नहीं दिखना चाहिए. जब अधीनस्थ अदालतें बहुत कम ध्यान देती हैं तो जमानत के नियम का दावा मात्र प्रवचन होता है.
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