पीएम मोदी ने अपनी नई टीम बनाते वक्त शासन और राजनीतिक जरूरतों के बीच व्यावहारिक संतुलन बनाया है. नई ऊर्जा और प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ, इस कवायद को सफल बनाने के लिए उन्हें समस्या की जड़ तक भी पहुंचने की जरूरत है, जो कि पीएमओ में सत्ता का केंद्रीकरण है.