रुपये का 2019 के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने और 11 महीनों में शेयरों के सबसे अधिक गिरने से यह स्पष्ट होता है कि मंदी को रोकने के लिए मोदी सरकार के कदमों के बारे में बाजार ज्यादा नहीं सोच रहा है. इकोनॉमिक इंडीकेटर भी उतने की मायने रखते हैं जितने की राजनीतिक फैसले. गिरती अर्थव्यवस्था को छुपाने के लिए मोदी सरकार के पास कोई जगह नहीं बची है.
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बाजार ने अंगूठा दिखाया, मोदी सरकार के पास गिरती अर्थव्यवस्था को छिपाने की कोई जगह नहीं
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