हिंसाग्रस्त जेएनयू और जामिया में जो हुआ उसपर अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराना उनके पाखंड को दिखाता है. क्या हम ऐसा असहाय सीएम चाहते हैं? उन्होंने शीला दीक्षित पर सवाल खड़े किए थे जब वो पुलिस पर अपनी पकड़ न होने की बात कहती थी. उनकी मुद्रा अब उजागर करती है कि वो भी अब सुविधाजनक राजनीति के सांचे में ढल गए हैं.