सामना के इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे का ‘विक्टिम कार्ड’ खेलना समझ में आता है. बालासाहेब के बेटे पर बीजेपी और उनके पूर्व सहयोगियों द्वारा अत्याचार किया जा रहा है, जिसका मतलब शिवसैनिकों की सहानुभूति हासिल करना है. लेकिन उत्पीड़न और विश्वासघात की इस कहानी में आम मराठियों के लिए कुछ भी नहीं है. इस अस्तित्व संकट से बचने के लिए उद्धव को बेहतर राजनीतिक सूझ-बूझ की जरूरत है.