गुजरात में चार नगर निगमों के स्ट्रीट फूड बेचनेवालों को प्रतिबंधित करने का फैसला हमेशा की तरह भड़काऊ बयानों और सावधानी से किए गए सुधारों जैसा है. भले ही इससे मांस बेचनेवालों को निशाना ना बनाया गया हो लेकिन यह अनौपचारिक, स्वनियोजित श्रमिकों को नुकसान पहुंचाएगा. महामारी की अर्थव्यवस्था में कथित ‘पकौड़ा’ बेचनेवालों को सक्रिय रूप से सुरक्षित करना चाहिए.