अगले वित्त वर्ष के लिए आर्थिक सर्वेक्षण का 8% -8.5% का कंजरवेटिव विकास का पूर्वानुमान समझदारी भरा है. दुनिया भर में महामारी का कम होना, आयातित मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीतियों का उलटफेर और दुनियाभर में केंद्रीय बैंक की तरलता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिकूल हैं. मैक्रो-इकनॉमिक स्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार और आरबीआई को चुस्त रहना होगा.