सिंघु में किसानों के विरोध स्थल पर एक दलित सिख की नृशंस हत्या इस बात को रेखांकित करती है कि इस संकट में जुनून हमेशा खतरनाक रूप से किनारे पर होता है. यह केवल बदतर हो सकता है और बड़ी आग को हल्का कर सकता है अगर अभी नहीं बुझाया गया तो. राजनीति को किनारे करने और मूल मुद्दे को तत्काल हल करने का समय आ गया है.