शरद पवार की एनसीपी में दो फाड़ के लिए भाजपा को कोसना आसान है. ऐसी टूट के लिए क्षेत्रीय दल खुद जिम्मेवार हैं. बिना विचारधारात्मक सूत्र के आगे बढ़ना मुश्किल है. व्यक्ति-केंद्रित राजनीति और योग्यता की कमी सत्ता और लूट को बढ़ाती है. बुनियादी सिद्धांत की कमी इन पार्टियों को भाजपा की साम-दाम-दंड-भेद नीति के मुकाबले कमजोर बनाती है.