किसी व्यक्ति के जीवन की कीमत लगाना निंदनीय है. इसलिए, कोविड-19 से मरने वालों के लिए 50,000 रुपये का मुआवजा बहुत कम है और ये कई लोगों को नाराज भी कर सकता है. महामारी को टाला नहीं जा सकता था लेकिन कुप्रबंधन से निपटा जा सकता था. इसके बजाय स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में निवेश करना सरकार की समझदारी होगी.