भाजपा की पुनर्गठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी नए अधिकार क्षेत्र में अपने विस्तार के एजेंडे को दिखाती है. वैचारिक रूप से विविध पृष्ठभूमि वाले नए चेहरों को शामिल करने से निर्णय लेने वाली प्रमुख संस्था अधिक प्रतिनिधित्व वाली बन जाती है. लेकिन मुखर नेताओं का बहिष्कार असहमति के प्रति असहिष्णुता को दर्शाता है. सकारात्मक आलोचना के प्रति भाजपा आलाकमान का विरोध पूर्वोत्तर के पुनर्गठन को लेकर विंडो ड्रेसिंग की कवायद भर दिखाता है.