बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जो पीएगा वो मरेगा टिप्पणी असंवेदनशील है. जहरीली शराब की त्रासदी शराबबंदी नीति की विफलता को दर्शाती है. उन्हें अहंकार छोड़ कर सुधार करने की जरूरत है. उनका गुस्सा एक असुरक्षित राजनेता की हताशा को दर्शाता है. कुढ़नी उपचुनाव ने उनके घटते सामाजिक आधार का संकेत दिया. कुमार को उस विकास पुरुष को फिर से खोजना होगा जो वह कभी थे.