एप्पल की “राज्य-प्रायोजित” नोटिफिकेशंस के बाद विपक्षी नेताओं की जासूसी के ताजा आरोप एक और घृणा पैदा करने वाली स्थिति है. ऐसी घटनाएं लोकतंत्र की सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं और सरकार ने तुरंत विस्तृत जांच की बात कर सही काम किया है. अब सभी सवालों का जवाब देना अहम है, भले ही वे कितने भी असहज करने वाले क्यों न हों.