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Friday, 15 November, 2024
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महबूबा मुफ़्ती के गढ़ अनंतनाग में चुनाव करवाना क्यों इतनी बड़ी आफत है?

अनंतनाग लोकसभा सीट पर चुनाव करवाना बहुत ही कठिन काम है. इस सीट पर मतदान तीन चरण में होंगे तीसरा चरण 23 अप्रैल, चौथा चरण 29 अप्रैल और पांचवा चरण 6 मई को है.

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नई दिल्ली : झेलम नदी के किनारे स्थित अनंतनाग दक्षिणी कश्मीर का वो ज़िला है जहां पर पिछले कुछ वर्षों से आतंकवाद की वजह से सुरक्षा व्‍यवस्‍था की स्थिति नाज़ुक दौर से गुज़र रही है. चुनाव आयोग ने देश में होने वाले लोकसभा चुनाव की घोषणा तो कर दी है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि अभी तक एक सीट पर तीन दौर में मतदान कभी नहीं हुए थे. देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक लोकसभा सीट के लिए तीन फेज़ में चुनाव होंगे.

अनंतनाग सीट पर चुनाव तीसरे चरण 23 अप्रैल, चौथे चरण 29 अप्रैल और पांचवें चरण 6 मई में होंगे.

अनंतनाग सीट से 2004 और 2014 में पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती चुनाव लड़ चुकी है और जीती भी. वर्ष 2004 में उन्हें 49 प्रतिशत मत मिले थे और 2014 में उनको 53 प्रतिशत मत मिले थे. वहीं जेकेएन से मिर्ज़ा महबूब बेग दोनों ही चुनावों में दूसरे स्थान पर रहे थे. मिर्ज़ा महबूब बेग 2009 के लोकसभा चुनाव में जीते थे. जेकेएन पार्टी के टिकट पर मिर्ज़ा महबूब बेग महबूबा मुफ़्ती को दो बार टक्कर दे चुके है.

2014 के चुनाव में यहां 28 फीसदी मतदान हुआ था. 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान 27 फीसदी लोगों ने मतदान किया था. महबूबा मुफ्ती के मुख्यमंत्री बनाने के बाद इस सीट पर अभी तक उपचुनाव नहीं कराया जा सका है.

जम्मू-कश्मीर करीब 30 वर्षों से आतंक के गिरफ्त में है और अनंतनाग हमेशा से कश्मीर के आतंकवाद से प्रभावित ज़िलों में सबसे ऊपर रहा है.

विधानसभा चुनाव भी टाले गए थे

अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में कुल 16 विधानसभा सीटे हैं और सभी दक्षिणी कश्‍मीर में आती हैं. अनंतनाग में पिछले पांच वर्षों में जमकर हिंसा हुई है. जिसकी वजह से 2016 में चुनाव टाल दिए गए थे. 30 वर्षों में यह पहला मौका है जब कानून व्‍यवस्‍था की खराब स्थित‍ि के चलते अनंतनाग में चुनाव स्‍थगित किए गए हैं.

वहीं, दूसरी तरफ राज्‍य में विधानसभा चुनाव भी होने हैं और लेकिन उन्‍हें भी अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित किया गया है. राज्‍य में अभी राष्‍ट्रपति शासन लगा हुआ है. धारा 370 और आर्टिकल 35 ए को लेकर भी राज्‍य में अशांति है.

वर्ष 2016 में हिज़बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से राज्‍य में हालात और बदत्तर हुए हैं. पिछले ढाई वर्षों से यहां पर हिंसा, अलगाववादी नेताओं के विरोध प्रदर्शन, एनआईए के छापों का दौर लगातार चल रहा है. इतना ही नहीं 14 फरवरी के पुलवामा आतंकी हमले के बाद जमात-ए-इस्‍लामी पर भी बैन लगाया गया है.

वोट करने से कतरा रहें हैं लोग

पिछले कुछ समय से राज्‍य में लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करना भी अपने आप में बड़ी चुनौती बना हुआ है. राज्‍य में दो बार लोकसभा उपचुनाव भी होने थे. कश्मीर की श्रीनगर सीट पर उपचुनाव हुए थे लेकिन अनंतनाग में चुनाव ही नहीं हुए.

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