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Friday, 22 November, 2024
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ममता बनर्जी के साथ खड़े हुए विपक्षी दल के नेता, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल

नायडू ने इस फैसले को निराशाजनक बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग की ईमानदारी दांव पर लगी, अमित शाह की एक शिकायत पर उन्होंने इतना बड़ा फैसला ले लिया है.

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 का केंद्र पश्चिम बंगाल बना हुआ है. चुनाव के पहले चरण से लेकर छठे चरण तक वहां हर बार बंपर मतदान हुआ है और उतनी ही हिंसा भी हुई है. चुनाव आयोग ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में 19 मई को होने वाले अंतिम चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार पर गुरुवार रात 10 बजे के बाद से रोक लगा दी. इस रोक को लेकर राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग के निर्णय पर सवालिया निशान लगा रही है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडू के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, वामपंथ के नेता सीताराम येचुरी और कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग पर सवालिया निशान लगाया है.

उनका कहना है कि अगर पाबंदी लगानी थी तो सुबह से ही लगा देते. रात तक क्यों इतंज़ार किया गया. आयोग पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि वह पीएम मोदी और शाह के दवाब में काम कर रहा है और इसी वजह से इसने पाबंदी तो लगाई लेकिन पीएम की रैली के बाद. आज पीएम मोदी की पश्चिम बंगाल के मथुरापुर और दमदम में रैलियों को संबोधित करेंगे.

चुनाव आयोग के फैसले पर राजनीतिक पार्टियां हुई ममता के साथ

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के समय को कम किया है. सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेता आयोग पर हमलावर हो गए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, मायावती, सीताराम येचुरी, कांग्रेस पार्टी, मायावती और अखिलेश यादव सहित सभी नेताओं ने चुनाव आयोग के फैसले को निराशाजनक बताया है.

नायडू ने इस फैसले को निराशाजनक बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग की ईमानदारी दांव पर लगी हुई है. नायडू ने ट्वीट कर कहा, ‘यह देखना और निराशाजनक है कि चुनाव आयोग ने 22 विपक्षी पार्टियों के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गिनती का मिलान ईवीएम से करने की अर्जी पर निष्क्रियता दिखाई.’ लेकिन अमित शाह की एक शिकायत पर उन्होंने इतना बड़ा फैसला ले लिया है.

वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि आयोग पूरी तरह से शाह और मोदी के दबाव में काम कर रही है. वहीं शाह और मोदी की जोड़ी एक योजना के तहत ममता पर निशाना साध रही है. उन्होंने कहा कि अगर प्रतिबंध लगाना था तो सुबह से क्यों नहीं लगाई पीएम की रैली क्यो होने दी जा रही है.

वहीं कांग्रेस पार्टी ने भी चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए इस फैसले को काला धब्बा बताया है. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय प्रजातंत्र मे यह अध्याय काले धब्बे के समान है. वहीं वामपंथी सीताराम येचुरी भी इस मामले में ममता बनर्जी के साथ खड़े हैं और उन्होंने भी आयोग पर सवाल खड़े किए हैं.

ममता ने विरोध में किया पैदल मार्च, कहा- मैं जेल जाने को तैयार हूं

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को भाजपा का भाई बताया है. उन्होंने कहा कि पहले चुनाव आयोग निष्पक्ष हुआ करती थी लेकिन आज देश का हर आदमी जानता है कि आयोग भाजपा के हाथों बिक चुका है. ममता 24 परगना के मथुरापुर में कहा कि मैं उदास हूं लेकिन मैं कुछ नहीं कह सकती हूं. मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं लेकिन मैं सच बोलना नहीं छोड़ूंगीं. इसके बाद ममता ने ठाकुर पुकुर से तारताला तक पैदल मार्च किया.

शाह ने कहा था चुनाव आयोग है मूक-दर्शक

बता दें कि कोलकाता रैली में हुई हिंसा के बाद भाजपा पार्टी अध्यक्ष ने पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के निष्पक्ष न होने पर निशाना साधा. शाह ने कहा, ‘लोकसभा चुनावों में धांधली की खबरें आ रही हैं. लेकिन चुनाव आयोग एक मूकदर्शक बना हुआ है. चुनाव आयोग को इसमें तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए.’

‘राज्य में छह चरणों के मतदान के बाद भाजपा ने चुनाव आयोग से संपर्क किया और हिंसा व धांधली की घटनाओं के बारे में कार्रवाई की मांग की, लेकिन एक बार भी चुनाव आयोग ने कहीं भी पुन: मतदान कराने के आदेश नहीं दिए’.

उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग मूकदर्शक रहा है. देश में हर जगह ‘आपराधिक प्रवृत्ति’ के लोग चुनावों से पहले ही पकड़े जाते हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल में वे आजाद घूम रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘जब तक आपराधिक रिकार्ड वाले लोगों को नहीं पकड़ा जाता, चुनाव आयोग पर सवाल उठते रहेंगे.’

चुनाव आयोग ने यह घोषणा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मंगलवार को रोड शो के दौरान हुई हिंसा के बाद की है. बता दें कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के पहले चरण से न केवल हिंसा हो रही है बल्कि प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा के शाह और पीएम मोदी के लिए यह नाक का सवाल बना हुआ है.

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