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Sunday, 3 November, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावजींद: यहां जनता से नहीं, सांड मंदिर में मत्था टेक वोट मांगते हैं नेता

जींद: यहां जनता से नहीं, सांड मंदिर में मत्था टेक वोट मांगते हैं नेता

कांग्रेस के सीनियर नेता भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने 29 अप्रैल को जींद के कंडेला गांव के सांड मंदिर में माथा टेक कर अपने चुनावी प्रचार को शुरू किया है.

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नई दिल्ली: इस वक्त हरियाणा में ज़्यादातर पार्टियां जींद में रैलियां करने में व्यस्त हैं. हिसार, सिरसा और सोनीपत जैसे तीन लोकसभा क्षेत्रों को छूता ये इलाका चर्चा का विषय बना हुआ है. सांडों और सांडों को लेकर हो रही राजनीति को लेकर. सांड को यहां खागड़ के नाम से भी जाना जाता है. जींद में सांडों का आंतक आप एक पुलिसकर्मी की आपबीती से समझ सकते हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस वाले ने दिप्रिंट को अपने साथ हुई एक घटना सुनाई, ‘मैं एक बार सांड से भिड़ पड़ा था. मैंने उसके दोनों सींग हाथ में पकड़ लिए किसी हीरो की तरह. लेकिन उसने मुझे उठाकर पटक दिया. 15 दिन अस्पताल में भर्ती रहा. ‘फिर हंसते हुए बताते हैं, ‘पुलिस कोई सुपर हीरो थोड़ी है जो सांडों से भी लड़ेगी.’

हरियाणा का हार्टलैंड बन गया है सांड लैंड, किसान हो गए हैं त्रस्त

जींद को हरियाणा का हार्टलैंड या फिर जाटलैंड भी कहा जाता है. जींद की हरियाणा के रोहतक से 60 किलोमीटर की ही दूरी है. लेकिन विकास के मामले में जींद को एक लंबी दूरी तय करनी है. जींद के ज़्यादातर इलाके सांडों से त्रस्त हैं. यहां न कोई इंडस्ट्री है और न ही कोई पढ़ाई-लिखाई का माहौल. एक समय (2005) था जब यहां के तीन मंत्री हरियाणा के कैबिनेट का हिस्सा थे. रणदीप सिंह सुरजेवाला, बिरेंद्र सिंह और मांगेराम गुप्ता. बिरेंद्र सिंह तो मोदी सरकार में केंद्र में भी इस्पात मंत्री रहे लेकिन आरोप है कि उन्होंने भी यहां का कोई विकास नहीं किया. लेकिन हरियाणा के चौटाला परिवार से लेकर हुड्डा परिवार तक, सब इसे अपनी कर्मभूमि घोषित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं.

जींद शहर. तस्वीर- ज्योति यादव

अब तो जेजेपी के सोनीपत के प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला ने अपनी एक रैली में कह दिया है कि वो जींद को राजधानी बना देंगे और विकास कराएंगे.

बहुचर्चित जींद उपचुनाव की जड़ में था सांड

पिछले दिनों जनवरी 2019 में हुए जींद उपचुनाव पर राजनीतिक पार्टियों की नजरें टिकी रहीं. दरअसल ये सीट इनेलो के विधायक श्री हरिचंद मीढ़ा के अगस्त 2018 में हुए निधन के बाद खाली पड़ी थी. 2009 में हरिचंद मीढ़ा को दो सांडों ने घायल कर दिया था. जिसके बाद वो लगातार बीमार रहे. बीमारी से उबर नहीं पाने के बाद 2018 में उनका निधन हो गया. जिसके बाद यहां उपचुनाव कराए गए. इन उपचुनावों को लेकर कहा जा रहा था कि ये हरियाणा की राजनीति का रुख तय करेंगे. इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई थी और जेजेपी दूसरे नंबर पर रही.

जींद में कई पार्टियों के कार्यकर्ताओं को भी सांड घायल कर चुके हैं. 2018 में कांग्रेस के नेता संदीप सांगवान को सांडों ने घायल कर दिया था. इस इलाके में सांड पिछले 10-15 सालों से आतंक मचाए हुए हैं. किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं.

जींद शहर| तस्वीर- ज्योति यादव

सिर्फ एक गौशाला, वो भी कामचलाऊ

अनुमान के तौर पर जींद में करीब पांच हज़ार सांड हैं. जिनके लिए सिर्फ एक सरकारी गौशाला है. जिसमें भी आए दिन गायों और सांडों को चारा-पानी न मिलने से हुई मौत को लेकर खबरें छपती रहती हैं. दो-चार निजी संस्थानों की गौशालाएं हैं जो कारगर नहीं हैं.

जींद के कुलदीप ने दिप्रिंट को बताया, ‘यहां सांडों की समस्या लक्ष्य मिल्क प्लांट के बनने के साथ ही शुरू हो गई थी. वो गायों को तो रखते हैं लेकिन बछड़ों को छोड़ देते हैं. फिर ये शहर और गांव में पहुंच जाते हैं. कितने ही एक्सिडेंट हो रहे हैं. शाम के समय आप सड़क पर निकल नहीं सकते हैं.’

‘भले ही राजनीतिक हवा जाट बनाम गैर जाट की दिख रही है. लेकिन जींद सीट की सारी लड़ाई सांडों की है.’- कुलदीप आगे कहते हैं. पिछले कुछ समय से स्थानीय अखबारों ने खबरों के साथ-साथ कार्टून भी छापने शुरू किए लेकिन किसी चीज का कोई असर नहीं हुआ.

जींद में जाटों के बाद सबसे अधिक संख्या पंजाबी और वैश्य समाज की है. करीब 1.70 लाख वोटर वाली इस सीट पर 55 हज़ार वोटर जाट हैं. इसलिए यहां भी 2016 के दंगों के बाद जाट, गैर जाट का फॉर्मूला लगााया जाएगा. 10 मई को यहां अरविंद केजरीवाल और जेजेपी के अजय चौटाला, हुड्डा मैदान में रैली करेंगे.

जींद शहर के निवासी | तस्वीर- ज्योति यादव

जींद में नेता सांड से आशीर्वाद भी लेने जा रहे हैं

सोनीपत लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 29 अप्रैल को जींद के कंडेला गांव के सांड मंदिर में माथा टेककर अपना चुनावी प्रचार शुरू किया है. कंडेला गांव में सांड का मंदिर बनने की कहानी बड़ी रोचक है. जिसे हरियाणा में ‘कंडेला कांड’ के नाम से जाना जाता है. 2002 में हरियाणा में चौटाला सरकार थी. इस गांव में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस ने गोलियां चलाई थीं. इसमें करीब 11 किसानों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. ग्रामीण बताते हैं कि घोड़े पर सवार होकर आई पुलिस जब उन पर हावी हो रही थी तो सांड ने पुलिस को खदेड़ना शुरू किया. कुछ लोगों का मत है कि इसी दौरान सांड को भी गोली लग गई और वो मर गया. लेकिन गांव के कुछ लोगों का कहना है कि इस कांड के कुछ दिन बाद बीमारी से उसकी मौत हो गई. खैर कारण कोई भी रहा हो. यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि गांव वालों ने उस सांड के प्रति अपना कृतज्ञता दिखाने के लिए वहां मंदिर बनवाया था. आज इसी मंदिर में राजनेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रहती है.

जब ये कांड हुआ था तब भी हुड्डा ने कंडेला-दिल्ली की पदयात्रा की थी. इस बार के चुनाव की शुरुआत उन्होंने कंडेला के सांड की समाधि से आशीर्वाद लेकर की है. अब देखना होगा कि सांड के आशीर्वाद से कांग्रेस अपनी सीट निकाल पाती है या नहीं.

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