नई दिल्लीः लोकसभा चुनावों के सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग है. इसके बाद 23 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे. भाजपा के शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी ने इन सात चरणों के लिए कुल 142 रैलियां कीं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुल 125 रैलियां कीं. पूरे चुनाव प्रचार में खूब बयानबाज़ी हुई. आरोप-प्रत्यारोप लगे.
लेकिन सातों चरणों में कुछ बातें बाकी सब मुद्दों को गौण बना गईं-
1. तेजबहादुर यादव का नामांकन रद्द होना: बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेजबहादुर ने वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ निर्दलीय पर्चा भरा था. लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया. इसके बाद चुनाव आयोग ने तेजबहादुर का नामांकन ही रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली. ये मुद्दा छाया रहा.
2. साध्वी प्रज्ञा का नामांकन: मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से मालेगांव बम ब्लास्ट के आतंकवाद की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भाजपा ने टिकट दिया. बहुत सारे लोगों ने इसकी आलोचना करते हुए इसे देश और संविधान पर खतरे जैसा बताया. वहीं भाजपा ने इस निर्णय की रक्षा करते हुए इसे आतंकवाद के प्रति सत्याग्रह और हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश को बेनकाब करने जैसा बताया.
3. गांधी और गोडसे: अभी आतंकवाद आरोपी को टिकट मिलने की बात खत्म ही नहीं हुई थी कि साध्वी प्रज्ञा ने महात्मा गांधी की हत्या करनेवाले नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताकर नई बहस छेड़ दी. इस बात की इतनी आलोचना हुई कि नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि गांधी का अपमान करनेवालों को दिल से कभी माफ नहीं कर सकता.
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4. दीदी वर्सेज मोदी: पश्चिम बंगाल में भाजपा ने पिछले कई सालों से जोर लगाया है. ममता बनर्जी ने इसके जवाब में उतनी ही आक्रामकता दिखाई. बंगाल से हर चरण में हिंसा की खबरें आती रहीं. लेकिन सातवें चरण से ठीक पहले अमित शाह की रैली में भाजपा- तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के बीच झड़प और ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति को तोड़ने की बात छाई रही. ममता बनर्जी ने बंगाल की हिंसा पर किसी तरह का साफ जवाब नहीं दिया. ना ही भाजपा नेताओं की रैलियों में पैदा हुए व्यवधान पर अपना स्टैंड क्लियर किया.
5. अक्षय कुमार का अराजनीतिक इंटरव्यू: बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने पहले ट्वीट किया कि वो कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जिसे लेकर नर्वस हैं. लोगों ने कयास लगाये कि शायद चुनाव लड़ेंगे लेकिन अक्षय अगले दिन नरेंद्र मोदी का अराजनीतिक इंटरव्यू करते नज़र आए. इसमें उन्होंने मोदी से आम खाने जैसी व्यक्तिगत बातों पर सवाल पूछे और उनको इसके जवाब भी मिले. हालांकि तुरंत अक्षय वोट देने और कनाडा की नागरिकता को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल भी हो गये.
हालांकि बाद में एक टीवी चैनल को मोदी ने इंटरव्यू देते हुए राडार और बादलों की बात की, बालाकोट हमले का तकनीकी श्रेय लेने की कोशिश की और नतीजन ट्रोल हुए.
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6. बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमला: नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के चुरू में रैली करते हुए फर्स्ट टाइम वोटर्स से गुज़ारिश की कि अपना पहला वोट पुलवामा के शहीदों के नाम करें. हालांकि इलेक्शन कमीशन ने पहले ही क्लियर किया था कि सेना और शहीदों के नाम पर वोट नहीं मांगना है. कांग्रेस मोदी के बयान के खिलाफ इलेक्शन कमीशन गई लेकिन वहां से मोदी को क्लीन चिट मिल गई.
7. बयानबाज़ी और बद्ज़ुबानी : मोदी ने बोफोर्स घोटाले को मुद्दा बनाते हुए राजीव को ‘भ्रष्टाचारी नंबर 1’ बताया. सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री को लेकर दिये गये बयान को लोगों ने ओछा बताया. सोशल मीडिया पर ये भी कहा गया कि नरेंद्र मोदी इस बार अपने कार्यकाल पर नहीं, बल्कि नेहरू, इंदिरा और राजीव से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं 1984 दंगों पर बोलते हुए कांग्रेस के पुराने नेता और गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा ने ‘हुआ तो हुआ’ कहकर भाजपा को एक मुद्दा हाथ में दे दिया. सिख आबादी वाले राज्यों में 1984 मुद्दा बन के उभरा. बाद में नीच वाले बयान पर काबिज़ रह कर मणिशंकर अय्यर ने भी विपक्ष को मुद्दा थमा दिया. ममता ने लोकतंत्र के थप्पड़ की बात की तो प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने चुप रहने को कह दिया. क्योंकि हेमंत करकरे समेत कई बयान पार्टी की गले की फांस बन गए.