scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होम2019 लोकसभा चुनाव20 दलों की वीवीपैट से वोट के मिलान की मांग, सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को नोटिस

20 दलों की वीवीपैट से वोट के मिलान की मांग, सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को नोटिस

2019 लोकसभा चुनाव में वोट वेरीफिकेशन की मांग के लिए 20 से भी ज्यादा पार्टियां सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं. 50 फीसदी ईवीएम के वोटों की वीवीपैट से मिलान की मांग

Text Size:

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आने वाले लोकसभा चुनाव 2019 के लिए परिणाम घोषित करने से पहले 50 फीसदी ईवीएम के परिणामों को वीवीपैट से मिलान और क्रॉसचेक करने की 21 विपक्षी पार्टियों की मांग पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.

बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस संबंध में कोर्ट की सहायता के लिए चुनाव आयोग से एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई को 25 मार्च तक के लिए टाल दिया है.


यह भी पढ़ेंः मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में बोली- गुप्त राफेल दस्तावेजों की फोटोकॉपी करना चोरी है


गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध किया था. याचिका में विपक्ष इसी तरह के मुद्दों को फरवरी में चुनाव आयोग में सूचीबद्ध कर उठा चुका है.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव शुरू होने में महज 4 हफ्ते बचे हैं, 20 से भी ज्यादा विपक्षी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट इस मांग को लेकर चली गईं कि चुनाव परिणाम आने से पहले 50 फीसदी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के रिजल्ट का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपैट्स) से मिलान किया जाय. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में इस मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध किया था.

अपनी याचिका में विपक्षी पार्टियां फरवरी में इसी तरह वीवीपैट्स से संबंधित मुद्दे को चुनाव आयोग में ले जा चुकी हैं. इसे सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने वाले विपक्षी नेताओं में एन. चंद्रबाबू नायडू सहित शरदा पवार, अखिलेश यादव, शरद यादव, अरविंद केजरीवाल, डेरेक ओ-ब्रायन, एमके स्टालिन, फारूख अब्दुल्ला शामिल थे.

ईवीएम मुद्दा

4 फरवरी को चुनाव आयोग को लिखे पत्र में विपक्षी पार्टियों ने चुनावी बॉडी से गुजारिश की थी कि ऐसे चुनाव क्षेत्र में जहां ‘जीतने वाले उम्मीदवार के पक्ष में पड़े वोटों और दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार के पक्ष में वोट में 5 फीसदी का अंतर हो तो ऐसे सभी निर्वाचन क्षेत्रों में पेपर ट्रेल से गिनती अनिवार्य होनी चाहिए.


यह भी पढ़ेंः कांग्रेस ने ही 1982 में भारत में ईवीएम का इस्तेमाल किया, खुद ही इसे अदालत में चुनौती दी थी


पत्र में कहा गया था कि वोटों में अंतर हो तो, वीवीपैट के रिजल्ट को ही माना जाय. विपक्ष ने चुनाव आयोग में इस पत्र के जरिये उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया था, जिसमें मध्य प्रदेश और तेलंगाना में दिसंबर 2018 विधानसभा चुनावों में डाले गये और गिने गये वोट (भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार) मैच नहीं कर रहे थे.

बता दें कि 2014 में जबसे मोदी सरकार बनी है तब से विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी अपने पक्ष में ईवीएम से छेड़छाड़ कर रही है.

7 चरणों में होने वाले लोकसभा के पहले चरण का चुनाव 11 अप्रैल को होना है. नतीजे 23 मई को आयेंगे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments